गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन से गणेश महोत्सव की शुरुआत होती है, जो 10 दिनों तक चलता है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है और भाद्रपद शुक्ल की चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन किया जाता है. इस तिथि को अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है, जो पंचांग के अनुसार 17 सितंबर 2024 को है. इसी दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है. गणेश पूजा का महत्व गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी 2024) तक ये दिन भगवान गणेश को समर्पित माने जाते हैं. बप्पा के भक्त इन 10 दिनों में गणेश के विभिन्न स्वरूपों की स्तुति, पूजा और आराधना करते हैं. शास्त्रों में गणेश को प्रथम देव माना गया है, साथ ही उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के दाता भी हैं. इसके साथ ही गणेश जी बुद्धि के दाता भी हैं. गणेश जी को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है। गणेश जी की पूजा करने से माता पार्वती, भगवान शिव और लक्ष्मी जी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। साथ ही पाप ग्रह केतु और बुद्धि, वाणिज्य आदि के कारक ग्रह बुध की भी शांति होती है।
केतु ग्रह की शांति
ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। इसके कारण कुंडली में कई अशुभ योग बनते हैं, जैसे कालसर्प योग, चांडाल योग, पितृ दोष, जड़त्व योग आदि राहु और केतु द्वारा बनते हैं जो व्यक्ति को जीवन भर परेशान करते हैं। व्यक्ति को पूर्ण सफलता नहीं मिल पाती है। उसके कार्यों में हमेशा बाधाएं, परेशानियां और कोई न कोई संकट बना रहता है। इसलिए इस ग्रह को शांत रखना बहुत जरूरी हो जाता है। गणेश महोत्सव के दौरान गणेश जी की पूजा करके केतु ग्रह की अशुभता को दूर किया जा सकता है। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से केतु शुभ फल देने लगता है। गणेश महोत्सव के दौरान प्रतिदिन कम से कम एक माला इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
केतु ग्रह का बीज मंत्र-
ॐ कें केतवे नमः
बुध ग्रह की शांति
गणेश जी की पूजा करने से बुध ग्रह की भी शांति होती है। अगर यह ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो गणेश जी की पूजा करने से शुभ फल मिलने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बुध को व्यापार का देवता और रक्षक भी बताया गया है। इसके साथ ही बुध को गणित, त्वचा, लेखन, वाणी आदि का कारक भी माना जाता है। गणेश जी को प्रतिदिन दूर्वा घास चढ़ाने और इस मंत्र का जाप करने से बुध ग्रह की शांति होती है-
बुध ग्रह का बीज मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः