हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन जगत के उद्धारक भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस पावन अवसर पर कृष्ण मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है. साथ ही मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है. भक्त भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर व्रत रखते हैं और भक्ति भाव से कृष्ण कन्हैया की पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही भजन-कीर्तन के जरिए माखन चोर का गुणगान करते हैं. दशकों बाद भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर द्वापर काल का शुभ संयोग बन रहा है. इस योग में भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक या व्रती को दोगुना फल मिलेगा. शुभ मुहूर्त वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को देर रात 03:39 बजे शुरू होगी. यह तिथि 27 अगस्त को देर रात 02:19 बजे समाप्त होगी. भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 12:01 बजे से 12:45 बजे तक है। इस दौरान भक्त भगवान कृष्ण की पूजा कर सकते हैं।
द्वापर काल का शुभ संयोग
सावन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को दोपहर 03:56 बजे से कृत्तिका नक्षत्र का संयोग बन रहा है। भगवान कृष्ण के अवतार के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। इस दिन चंद्रमा भी वृषभ राशि में रहेगा। 25 अगस्त को रात 10:19 बजे चंद्रमा का गोचर वृषभ राशि में होगा। इसलिए मन के कारक चंद्र देव भी वृषभ राशि में रहेंगे। भगवान कृष्ण की लग्न राशि वृषभ है। इस शुभ अवसर पर रात 10:18 बजे से हर्षण योग बन रहा है। वहीं, शाम को 03:55 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। यह योग 27 अगस्त को सुबह 05:57 बजे समाप्त होगा। इसके अलावा भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शिववास योग भी बन रहा है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव जगत की देवी मां गौरी के साथ कैलाश पर विराजमान होंगे।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05:26 बजे
सूर्यास्त – शाम 06:49 बजे
चंद्रोदय – रात 11:20 बजे
चंद्रास्त – दोपहर 12:58 बजे
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:27 बजे से सुबह 05:12 बजे तक
विजया मुहूर्त – दोपहर 02:31 बजे से दोपहर 03:23 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:49 बजे से शाम 07:11 बजे तक
निशिता मुहूर्त – सुबह 12:01 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक