वेद माता गायत्री आदिशक्ति हैं। ज्ञान शक्ति रूपा का स्मरण सांसारिक जीवन की हर परेशानी से बाहर निकालता है और मनोरथ पूरे करता है। यही कारण है कि गायत्री के ध्यान और उपासना के लिए गायत्री मंत्र का जप बहुत ही असरदार माना गया है। मंत्र, श्लोक या स्त्रोत के जप का शुभ फल तभी संभव है, जब उनके लिए नियत समय, नियम और मर्यादा का पालन किया जाए। गायत्री मंत्र जप के लिए भी ऐसा ही नियत वक्त और नियम शास्त्रों में बताए गया है। जानिए, गायत्री मंत्र का जप सुबह-शाम कहां, कब और कैसे बोलना होता है असरदार
गायत्री महामंत्र
ॐ भूर्भुव स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
यथासंभव गायत्री मंत्र का जप किसी नदी या तीर्थ के किनारे, घर के बाहर एकांत जगह या शांत वन में बहुत प्रभावी होता है।
गायत्री मंत्र जप और संध्या का महत्व सूर्योदय से पहले है इसलिए सूर्य उदय होने से पहले उठकर जब तक आसमान में तारे दिखाई दें, संध्याकर्म के साथ गायत्री मंत्र का जप करें।
इसी तरह शाम के समय सूर्य अस्त होने से पहले संध्या कर्म और गायत्री मंत्र का जप शुरू करें और तारे दिखाई देने तक करें।
धार्मिक दृष्टि से सुबह के समय खड़े होकर किया गया संध्याकर्म और गायत्री जप रात के पाप और दोषों को दूर करता है।
वहीं शाम को बैठ कर किया गया संध्या कर्म और गायत्री जप दिन में हुए दोष और पाप को नष्ट करता है।