भोपाल। मध्य प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद प्रदेश में प्रभारी मंत्रियों को जिलों का आवंटन कर दिया गया है। लेकिन मंत्रियों और उनके प्रभार के जिलों को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का माहौल गर्म नहीं बल्कि उबाल पर है। दरअसल, इस बात की सूचना बीजेपी संगठन, मंत्रालय और मंत्रियों के स्टाफ से पीछे के दरवाजे से लीक कराई गई कि मंत्रियों को प्रभार के जिले उनके वर्चस्व क्षेत्र के समीप ही मिलेंगे। लेकिन जारी आदेश में इसका उलट दिखाई दिया।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि मंशा के विपरीत जिलों का प्रभार दिया गया। राष्ट्रीय राजनीति से प्रदेश की सियासत में पहुंचाए गए प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, कैलाश विजयवर्गीय को छोटे जिलों का प्रभार दिया गया। जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला, तुलसी सिलावट, विश्वास सारंग, करण सिंह वर्मा जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को दूरदराज के जिलों की जिम्मेदारी दी गई।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अमित शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रभारी मंत्रियों को जिलों के आवंटन को लेकर चर्चा भी की गई थी। मंशा के अनुरूप मंत्रियों ने अपनी विधानसभा से लगे हुए जिलों की मांग की थी। लेकिन इसके विपरीत आवंटन किया गया। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में बड़े नेताओं को साइड लाइन करने के लिए दिल्ली से रिमोट का बटन दबाया जा रहा है। बीजेपी में प्रदेश और देश के भावी नेतृत्व को लेकर अंदरूनी जंग जारी है। इसकी शुरुआत भी बीते विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाले चेहरों को टिकट देकर हुई थी।
वहीं इस मामले पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय धवले ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। विचार मंथन के साथ संबंधित जिलों के विकास के मद्देनजर संबंधित मंत्रियों को प्रभार दिया गया है।