डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर से जेल से बाहर आया है। राम रहीम को एक बार फिर फरलो मिल गई है। राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है, जिसके बाद वह मंगलवार को सुनारिया जेल से बाहर आ गया। राम रहीम ने फरलो पर बाहर आने के लिए उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को लगभग 6:30 बजे पुलिस की सुरक्षा में जेल से बाहर निकाला गया। वह पेरोल का समय उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित बरनावा आश्रम में बिताएंगे।
बता दें कि राम रहीम सिरसा स्थित अपने आश्रम में दो महिला अनुयायियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद की सजा काट रहा है। राम रहीम को पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अगस्त 2017 में दोषी करार दिया था।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इससे पहले छह बार पहले भी फरलो पर जेल से आ चुके हैं। आज उन्हें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बागपत के बरनावा आश्रम में लाया गया। गुरमीत राम रहीम के जेल से बाहर आने की घटना को हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 से जोड़कर भी देखा जा रहा है। रोहतक की सुनारिया जेल से 7वीं बार 21 दिन की फरलो पर डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के बाहर आते ही उनके अनुयायियों में खुशी की लहर है। बाबा राम रहीम सुनारिया जेल से सीधे बरनावा आश्रम पहुंचे हैं, जहां कई दिन से सफाई का काम चल रहा था।
राम रहीम मिली फरलो और पैरोल ( parole)
- 24 अक्टूबर 2020: राम रहीम को पहली बार अस्पताल में भर्ती मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल मिली.
- 21 मई 2021: मां से मिलने के लिए दूसरी बार 12 घंटे की पैरोल दी गई.
- 7 फरवरी 2022: परिवार से मिलने के लिए डेरा प्रमुख को 21 दिन की फरलो मिली.
- जून 2022: 30 दिन की पैरोल मिली. यूपी के बागपत आश्रम भेजा गया.
- 14 अक्टूबर 2022: राम रहीम को 40 दिन की लिए पैरोल दी गई. वो बागपत आश्रम में रहा और इस दौरान म्यूजिक वीडियो भी जारी किए.
- 21 जनवरी 2023: छठीं बार 40 दिन की पैरोल मिली. वो शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल होने के जेल से बाहर आया.
- 20 जुलाई 2023: सातवीं बार 30 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया.
- 21 नवंबर 2023: राम रहीम को 21 दिन की फरलो लेकर बागपत आश्रम गया.
फरलो और पैरोल में अंतर
क्या होती है पैरोल
पैरोल का मतलब है जेल से मिलने वाली एक छूट। यह छूट वह कैदी पा सकता है, जो जेल में बंद होकर सजा काट चुका हो। पैरोल देने का अधिकार राज्य सरकार को होता है और हर राज्य में इसके अलग-अलग नियम होते हैं। कैदी को पैरोल की सुविधा उसके व्यवहार और सजा काटने के तरीके के आधार पर दी जाती है। इससे वह सामाजिक संबंधों को सुधार सकता है और कुछ महत्वपूर्ण कामों को निपटा सकता है।
क्या होती है फरलो
फरलो एक तरह से छुट्टी की तरह होती है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है। फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है। यह सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है। यह आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे वक्त के लिए सजा मिली हो। इसका मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके. इसे बिना कारण के भी दिया जा सकता है। चूंकि जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग नियम है। उत्तर प्रदेश में फरलो देने का प्रावधान नहीं है