नई दिल्ली: कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी के हाथ से आखिरकार रिलायंस कैपिटल निकल गई है। रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स (IIHL) ने 2,750 करोड़ रुपये एक निर्धारित एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने उसे ऐसा करने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक हिंदुजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल ने यह राशि एस्क्रो अकाउंट में ट्रांसफर कर दी है। कंपनी ने साथ ही बैंकों की एक बाइंडिंग टर्म शीट भी दी है। इसमें ट्रांजैक्शन की फंडिंग के लिए बैंकों के लोन का भी पूरा विवरण है।
एनसीएलटी ने आईआईएचएल को 10 अगस्त तक समाधान योजना को लागू करने और 2,750 करोड़ रुपये लेनदारों की समिति (CoC) द्वारा डिजाइन एस्क्रो खाते में जमा करने का निर्देश दिया था। इससे पहले 1 अगस्त को रिलायंस कैपिटल के लेंडर्स ने आईआईएचएल को एक पत्र लिखकर कहा था कि अगर जल्दी से जल्दी 2,750 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया था तो इसके प्रतिकूल परिणाम होंगे। आईआईएचएल ने दावा किया था कि कंपनी के पास एस्क्रो खाते का विवरण नहीं था जिस कारण यह पैसा उसने अपने खाते में ट्रांसफर कर दिया था।
कितना है कर्ज
रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए IIHL ने 9,861 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी जिसे पिछले साल जून में अधिकांश लेनदारों ने मंजूरी दे दी थी। रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है। आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। कंपनी पर क्रेडिटर्स का करीब 23,666 करोड़ रुपये का कर्ज है।