हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सावन महीने में मनाया जाता है। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए समर्पित है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें पिंडदान करते हैं। साथ ही, पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हैं। हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे कई कारणों से मनाया जाता है चलिए जानते हैं हरियाली अमावस्या मानाने के प्रमुख कारण:-
पितरों का श्राद्ध:
इस दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर लोक से अपने बच्चों से मिलने आते हैं। इसलिए, पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
पर्यावरण संरक्षण:
हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण से भी जोड़ा जाता है। इस दिन पेड़-पौधे लगाने और पर्यावरण की रक्षा करने का महत्व बताया जाता है।
प्रकृति का सम्मान:
यह त्योहार प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर भी है।
शुभ कार्यों का आरंभ:
कुछ लोग इस दिन शुभ कार्य शुरू करने के लिए भी मुहूर्त देखते हैं।
हरियाली अमावस्या के दिन क्या करें
– पितरों के नाम पर पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करें
– इस दिन नए पेड़-पौधे लगाने का विशेष महत्व है।
– कई लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
– इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
हरियाली अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए:
– इस दिन अशुभ काम जैसे झगड़ा करना, झूठ बोलना, किसी को चोट पहुंचाना आदि से बचना चाहिए।
– इस दिन मांसाहार से परहेज करना चाहिए।
– इस दिन अशुद्ध या बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
– शराब का सेवन करना वर्जित है।
– किसी भी तरह का अनैतिक कार्य करना वर्जित है।
– नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए और सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए।
– राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।