काठमांडू । प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले केपी शर्मा ओली के रविवार को संसद में विश्वास मत हासिल करने की परीक्षा में खरा उतरने से पहले ही तीन राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ मतदान करने की घोषणा की है जिनमें वह पार्टी भी शामिल है जिससे उन्होंने नाता तोड़ लिया है। ओली ने पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ के स्थान पर नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। प्रचंड पिछले हफ्ते प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने में विफल रहे थे क्योंकि ओली की ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी’ (सीपीएन-यूएमएल) ने समर्थन वापस लेकर नेपाली कांग्रेस (एनसी) और अन्य दलों से हाथ मिला लिया था।
एनसी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है। सोमवार को चौथी बार हिमालयी राष्ट्र के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले 72 वर्षीय वरिष्ठ वामपंथी नेता ओली रविवार को संसद में विश्वास मत हासिल करने का प्रयास करेंगे। लेकिन इसके पहले ही प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर (सीपीएन-एमसी), राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी), और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड सोशलिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने शुक्रवार को एक संयुक्त बैठक करके विश्वास मत के दौरान ओली का समर्थन नहीं करने का फैसला किया।
‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने प्रचंड के निजी सचिव रमेश मल्ल के हवाले से कहा, ‘‘प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रबी लामिछाने और यूनिफाइड सोशलिस्ट के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल ने सिंह दरबार में चर्चा के बाद निर्णय लिया।’’ नेपाल को लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा है क्योंकि गणतांत्रिक प्रणाली लागू होने के बाद से पिछले 16 सालों में देश ने 14 सरकारें देखी हैं।