नई दिल्ली;एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद, समग्र रोजगार और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। एक अनुमान के मुताबिक एमएसएमई की देश की जीडीपी में 30 फीसद हिस्सेदारी है। निर्यात में करीब 45 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। ऐसे में अगामी बजट से इस सेक्टर को वित्तमंत्री से बहुत उम्मीदें हैं। डेलॉयट द्वारा हाल ही में किए गए GST@7 सर्वे के अनुसार 78% एमएसएमई ने जीएसटी का समर्थन किया है। टैक्स कंप्लायंस ऑटोमेशन, ई-इनवाइसिंग और विवादास्पद कर मुद्दों पर समय पर सर्कुलर/निर्देश जारी करना, सर्वेक्षण में सरकार के लिए शीर्ष प्रदर्शन वाले क्षेत्रों के रूप में उभरे। एमएसएमई अभी भी कुछ चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से जीएसटी अनुपालन के साथ।
बजट में क्या चाहता है यह सेक्टर
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर हरप्रीत सिंह, और गगन गुगनानी, जो इसके एसोसिएट डायरेक्टर हैं ने एमएसएमई की मांगों के बारे में ईटा के बताया कि अगर भुगतान 180 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है, तो टैक्सपेयर्स को ब्याज सहित इनपुट टैक्स क्रेडिट को रिवर्स करना होगा। एमएसएमई के लिए इस कठोर आईटीसी शर्त में छूट दी जानी चाहिए, जिससे उन्हें अनुपालन से राहत मिलेगी। सरकार फर्जी चालान पर अंकुश लगाने, पारदर्शिता बढ़ाने और कर अनुपालन को कारगर बनाने के उपाय के रूप में चरणबद्ध तरीके से ई-चालान लागू करने की इच्छुक है। वर्तमान में ई-इनवाइस के लिए सीमा 5 करोड़ रुपये है।
एमएसएमई टैक्सपेयर्स इसके बारे में बहुत नहीं जानते और हर ट्रांजैक्शन पर ई-चालान जारी करने के लिए तीसरे पक्ष पर निर्भर हैं।एमएसएम ई के लिए इस अनुपालन में कई तरीकों से छूट दी जा सकती है, जैसे ई-चालान बनाने के लिए मोबाइल ऐप को एनेबल करना, विशिष्ट क्षेत्रों को छूट आदि। तय टर्नओवर लिमिट या आईटीसी का उपयोग करके आरसीएम देयता का भुगतान करने की पात्रता रखने वाले एमएसएमई को आरसीएम टैक्स लायबिलिटिज से छूट देने पर विचार किया जा सकता है। एमएसएमई को बैड लोन के कारण टैक्स के समायोजन की अनुमति दी जानी चाहिए। कंपोजिशन स्कीम छोटे करदाताओं के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पात्रता सीमा के साथ एक सरलीकृत कर भुगतान विकल्प प्रदान करती है। सीमा में वृद्धि से अधिक छोटे व्यवसायों को इस योजना का लाभ मिल सकता है।
औसतन 1.7 श्रमिकों को रोजगार देता है एमएसएमई
दूसरी ओर भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की संस्थापक और प्रबंध ट्रस्टी लक्ष्मी वेंकटरमन वेंकटेशन ने कहा, “विशाल संख्या के कारण, अनौपचारिक उद्यमों सहित 4.62 करोड़ सूक्ष्म उद्यमों, जो भारत के एमएसएमई क्षेत्र का 98.3% हिस्सा बनाते हैं, पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। औसतन 1.7 श्रमिकों को रोजगार देने वाली ये इकाइयां दक्षता और पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की कमी से ग्रस्त हैं। उन्होंने बताया, “ हम केंद्रीय बजट में ऐसी नीतियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो सीजीटीएमएसई, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत इन उद्यमियों के लिए वित्त तक आसान पहुंच को बढ़ावा दें और उसके बाद विकास और स्थिरता के लिए सलाह और सहायता प्रदान करें। हमें उम्मीद है कि सरकार सरलीकृत जीएसटी रिटर्न पेश करेगी यद्यपि भारत सरकार ने एमएसएमई को 45 दिनों के भीतर समय पर भुगतान की शुरुआत की है, लेकिन बड़े उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा शोषण से बचने के लिए इसे अक्षरशः लागू किया जाना चाहिए।”
केंद्रीय बजट में 45 दिनों के भीतर किए गए भुगतानों पर वैधानिक ऑडिटर्स द्वारा एनुअल सर्टिफिकेशन शुरू किया जा सकता है या विलंबित भुगतानों के लिए ऑडिटेड बैलेंस शीट में “नोट ऑन अकाउंट” शामिल किया जा सकता है। चूंकि भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने का प्रयास कर रहा है, इसलिए एमएसएमई, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के सूक्ष्म उद्यमों के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है।