भोपाल। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की उपस्थिति में “पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना की आधारशिला रखी। इस दौरान योजना में रुकावट और आगामी परियोजनाओं पर चर्चा की गई।
MP-राजस्थान के बीच जल समझौता
मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि सहमति नहीं बन पाने से योजना में देरी हुई। दोनों राज्यों के प्रमुख सचिव और केंद्र सरकार ने मिलकर समझौता कर MOU किया है। 20 साल का समय चला गया। अब संयुक्त रूप से काम करेंगे।यह योजना कुल 72 हजार करोड़ की है। सिंचाई का रकबा 6.17 लाख हेक्टेयर का रकबा है जिससे लाभान्वित होगा। पर्यटन, चिकित्सा, शिक्षा, खनिज, भगवान श्री कृष्ण का पाथेय पर भी विचार किया है। जैसे दक्षिण के राज्य आगे बढ़ते हैं वैसे ही हम भी काम करेंगे। उन्होंने कहा कि खाटू श्याम से महाकाल लोग तक एक सर्किट बनाने पर भी विचार मंथन किया है। हमारे बीच जल समझौता भी हुआ है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना के अनुरूप आज चंबल-पार्वती-कालीसिंध की जल-धाराओं का मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए उपयोग का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। दोनों राज्यों के बीच परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एमओयू हुआ है। इस समझौते के कारण ही मुरैना, ग्वालियर,श्योपुर, राजगढ़ सहित 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की सुविधाएं बढ़ाई जा सकेंगी। पानी की एक-एक बूंद का राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में उपयोग होगा, जिससे दोनों राज्यों के विकास में नई इबारत लिखी जायेगी।
यह 72 हजार करोड़ रूपये की योजना है। आज का दिन मध्यप्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। यह नवाचार भी है साथ ही हमारे देश की संघीय भावना का प्रकटीकरण भी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतरराज्यीय नदी लिंक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए संयुक्त पहल के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त पहल का कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में दीप प्रज्वलित कर एवं नदियों के पवित्र जल को कलश में समाहित किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्यों के हित होते हैं, लेकिन देश हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की भावना के अनुरूप यह कार्य हुआ है। उनकी मूल भावना यही है कि लगातार राज्य अपनी समस्याओं का हल निकालें। विशेष रूप से जल के बंटवारे के मामलो को सुलझाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश और राजस्थान को भरपूर राशि दे रहे हैं। दोनों राज्यों के बीच जल समस्या के हल से पर्यटन के क्षेत्र में भी विकास की बड़ी संभावनाएं हैं। विशेष रूप से चंबल, श्योपुर और रणथंभोर में पर्यटन की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान ने रेगिस्तान में भी पर्यटन को विकसित कर दिया है। हमारे यहां धार्मिक पर्यटन की बड़ी संभावना है। भगवान श्रीकृष्ण का पाथेय बने, इसके लिए हम प्रयासरत हैं। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से ओंकारेश्वर-महाकालेश्वर मध्यप्रदेश में ही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। खनिज सम्पदा के लिए भी हम एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। आयुर्वेद की संभावना मध्यप्रदेश-राजस्थान में है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना में भी एक दूसरे का सहयोग करेंगे। अफीम की खेती का लाभ किसानों को दिलाने के लिए संयुक्त प्रयास किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि वन्य जीवों की सुरक्षा दोनों राज्य मिलकर करेंगे। पर्यटन और रोजगार आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
भजनलाल शर्मा बोले – एमपी और राजस्थान के अंदर कई कार्य संयुक्त रूप से होने वाले हैं
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि यह परियोजना बहुत समय से रुकी हुई थी। इस परियोजना का लाभ जिन किसान भाइयों को या प्रदेश की जनता को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया। अब इस योजना से 37 लाख हेक्टेयर मध्य प्रदेश में सिंचाई होने वाली है। राजस्थान की 13 जिले और एमपी के 14 जिलों का लाभ मिलेगा। आने वाले समय में राजस्थान और मध्य प्रदेश के अंदर संयुक्त रूप से कई कार्य होने वाले हैं। चाहे वह पर्यटन के हो या धार्मिक के।
भजनलाल शर्मा ने आगे कहा कि कूनो का चिता रणथंबोर का भाग चंबल का घड़ियाल, इसमें पर्यटन की संभावना है। कई सीमाओं को जोड़ते हुए काम किया जा सकता है। मैं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को धन्यवाद देना चाहता हूं। केंद्र से बातचीत कर हम दोनों ने दोनों ही प्रदेशों के लिए जीवनदायिनी योजना पर सहमति बनाई। 28 जनवरी को शुरुआत हुई थी। आने वाले समय में राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश को बड़ा फायदा होने वाला है। पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या का समाधान होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बहुत-बहुत धन्यवाद क्योंकि उन्होंने दोनों राज्यों के बीच में सुझाव दिए और समस्या हल हुई।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान की इस योजना को मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी की भावना को मूर्तरूप देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हमारी साझा नीति दोनों प्रदेशों को आगे बढ़ाने की है। इस परियोजना के पूरा होने से दोनों प्रदेशों की उन्नति होगी। राज्य और केंद्र मिलकर इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में वर्तमान में स्थिति बदली है। पहले सीमित संसाधन थे। राजस्थान के 13 जिले और इतने ही जिले मध्यप्रदेश के इस परियोजना से लाभ प्राप्त करेंगे। इस योजना से दोनों प्रदेशों को लाभ होगा साथ ही आपसी रिश्ते भी सुदृढ़ होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त कुछ योजनाएं मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण राजस्थान में भी आए थे। राजस्थान और मध्यप्रदेश के अंदर खाटू श्याम से महाकाल तक कॉरीडोर बनाने के प्रयास होंगे। इससे राजस्थान- मध्यप्रदेश के अंदर पर्यटक और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी। स्थापत्य कला को भी देखने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में श्रीअन्न (मोटा अनाज) को बढ़ावा देने के प्रयास होंगे। इन योजनाओं से जल का स्तर बढ़ेगा। किसानों को लाभ पहुंचेगा। पीने का पानी भी नागरिकों को मिलेगा। रणथंभौर से टाइगर मध्यप्रदेश आ जाते हैं। इसी तरह मध्यप्रदेश से चीते राजस्थान में पहुंच जाते हैं। वन्य-प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन के लिए योजना बनाई जाएगी।
राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के मध्य सहयोग के बिन्दु
पर्यटन क्षेत्रों का संयुक्त विकास।
श्री कृष्ण पाथेय कृष्ण गमन पथ निर्माण।
खाटू-श्याम जी, नाथद्वारा, उज्जैन, ओंकारेश्वर के मध्य वन्दे भारत ट्रेन/ इलेक्ट्रिक बस का संचालन किया जाए।
राजस्थान मध्यप्रदेश की खनन नीति को अपना कर राजस्व में वृद्धि कर सकता है।
बजरी का प्रयोग बंद कर स्टोन डस्ट और एम सैण्ड के उपयोग को बढ़ावा।
आयुर्वेद/आयुष/ पंचकर्म पर्यटन को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयास।
मध्यप्रदेश पर्यटन की होटल आऊटसोर्सिंग पॉलिसी को राजस्थान अपना सकता है।
अफीम/डोडा चूरा से जुड़े अपराधियों का डेटा बेस साझा किया जाए एवं नीलामी पॉलिसी में एकरूपता लाई जाए।
दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित मेडिकल कॉलेज की स्थिति/ दूरी का युक्ति युक्तकरण किया जाए।
कूनो से लगे राजस्थान के वन क्षेत्रों को मिलाकर एक संयुक्त बड़ा राष्ट्रीय पार्क बनाया जाए।