आखिरकार समय आ ही गया..राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी मैदान में बतौर प्रत्याशी ताल ठोकेंगीं। ये पहली बार होगा, जब अपने राजनीतिक जीवन में प्रियंका गांधी कोई चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस के थिंक टैंक ने तय कर दिया है कि राहुल गांधी वायनाड लोकसभा सीट छोड़ेंगे और प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़ेंगी।
प्रियंका गांधी का सियासी सफर कैसा रहा? निराशा से निकलकर किस तरह से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में आशा की किरण जलाई? वर्ष 2019 से 2024 का सियासी घटनाक्रम कैसा रहा और कैसे प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के अंदरखाने ‘विश्वास’ की अलख जलाई? आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं।
2019 और 2022 के चुनावों में मिली निराशा
2019 के आम चुनाव में प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने महासचिव बनाया और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी। हालांकि, राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे। इसके बाद वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो प्रियंका गांधी के हाथ एक बार फिर से निराशा आई, कांग्रेस महज दो सीटों पर सिमट गई। ऐसा लगने लगा था कि प्रियंका उत्तर प्रदेश की राजनीति को अलविदा कह देंगी।
2024: समय बदला, कांग्रेस को प्रियंका के प्रचार से मिली पावर
‘सब दिन न होत एक समान’…समय बदला और 2024 में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा। दूसरे चरण में वायनाड में मतदान संपन्न हुआ तो कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने कंधों पर लिया। इस दौरान प्रियंका कांग्रेस की स्टार प्रचारक बनकर उभरीं। प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार भी जबरदस्त तरीके से किया। रायबरेली में ही पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद किया तो प्रधानमंत्री मोदी के मंगलसूत्र वाले बयान पर भी निशाना साधा। जनता से पूछा कि क्या कांग्रेस ने 55 वर्षों में किसी का सोना या मंगलसूत्र छीना? नतीजा ये रहा कि अमेठी से केएल शर्मा तो रायबरेली से राहुल गांधी को जीत हासिल हुई, वो भी बड़े अंतर के साथ। रायबरेली में राहुल गांधी चुनाव जीते लेकिन बहुत हद तक इस जीत का श्रेय प्रियंका गांधी के प्रचार अभियान को भी जाता है। यह कहने में भी कोई गुरेज नहीं कि प्रियंका गांधी ने सुस्त पड़ती दिख रही कांग्रेस में ईंधन भरने का काम किया।
अब पहली बार चुनाव मैदान में…
अब प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने का समय भी आ चुका है। वैसे कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पहले भी इस बात का संकेत दे चुके हैं कि प्रियंका के संसद पहुंचने के विकल्प खुले हैं। बस, आधिकारिक रूप से एलान का इंतजार था, जो हो गया है। तय कर दिया गया कि राहुल गांधी अमेठी सीट अपने पास रखेंगे और वायनाड से बहन प्रियंका को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार प्रियंका गांधी चुनाव मैदान में बतौर प्रत्याशी ताल ठोकेंगी। अब समय रण का है, जीत के दावे का है। जीतीं तो जय-जयकार और हारीं तो प्रतिष्ठा पर सवाल। ‘लड़की हूं…लड़ सकती हूं’, ये एलान प्रियंका गांधी ने भले ही वर्ष 2022 में यूपी चुनाव के दौरान दिया था लेकिन, सही मायनों में अब इस वाक्य को शब्दश: आत्मसात करने का समय आ गया है।