हिंदू धर्म में साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं और हर तिथि को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसी तरह ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से पुकारा जाता है. इस दिन सही मूहुर्त में विधि-विधान से अगर आप भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो, अनजाने में किये गये पापों से भी आपको मुक्ति मिल जाती है. अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को रखा जा रहा है.
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही किया जाता है, इसलिए 3 जून को सुबह 8 बजकर 5 मिनट से लेकर 8 बजकर 10 मिनट तक आप व्रत का पारण कर सकते हैं. वैष्णव संप्रदाय के लोग अपरा एकादशी का व्रत 3 जून को रखेंगे और 4 जून को पारण करें.
पूजा विधि
भगवान विष्णु का जल से अभिषेक करना चाहिए औप पीले फूल विष्णु भगवान को अर्पित करने चाहिए. इसके बाद मंदिर में घी का दीपक आपको जलाना चाहिए और पूजा आरंभ करनी चाहिए. पूजा की शुरुआत आप विष्णु भगवान के मंत्रों से कर सकते हैं. इसके बाद एकादशी व्रत की कथा का पाठ आपको करना चाहिए और अंत में विष्णु भगवान की आरती के साथ ही लक्ष्मी जी की पूजा करके पूजा का समापन करना चाहिए.
अपरा एकादशी का महत्व
अगर कोई व्यक्ति अपरा एकादशी के दिन व्रत रखता है तो, अनजाने में उसके द्वारा जो पाप हुए हैं उनसे भी मुक्ति मिल जाती है. इस दिन व्रत रखने वाले को गाय के दान जितना पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही मानसिक शांति और पारिवारिक खुशियों के लिए भी यह व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है. जो लोग इस दिन विधिपूर्वक विष्णु जी की पूजा करते हैं उनके जीवन की सभी समस्याओं का भी अंत होने लगता है.