केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन हो गया. दिल्ली AIIMS में राजा माता माधवी राजे सिंधिया में अंतिम सांस ली. कल ग्वालियर में उनका अंतिम संस्कार होगा. बुधवार सुबह 9.28 बजे माधवी राजे सिंधिया का निधन हुआ. पिछले कुछ महीने से उनका इलाज चल रहा था. वह निमोनिया के साथ-साथ सेप्सिस से भी पीड़ित थीं और पिछले कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर थीं.
नेपाल राजघराने से संबंध
माधवी सिंधिया भी एक शाही परिवार से आती हैं. उनके मायके का भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. माधवी राजे सिंधिया के दादा जुद्ध शमशेर जंग बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं. किसी वक्त में वो राणा डायनेस्टी के मुखिया भी रहे थे. माधवी राजे सिंधिया को प्रिंसेज किरण राज्य लक्ष्मी देवी के नाम से भी जाना जाता है. माधवी सिंधिया नेपाल के प्रधानमंत्री एवं, कास्की और लमजुंग के महाराजा, और गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुंवर के पैतृक वंशज जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा की पोती हैं. माधवी राजे के एक बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया व एक बेटी का नाम चित्रांगदा सिंधिया है.
माधवराव सिंधिया से विवाह के बाद बदला नाम
ग्वालियर के महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्वर्गीय पिता माधवराव सिंधिया ने 1966 में माधवी सिंधिया से शादी की थी. 1966 में माधवराज सिंधिया से विवाह के बाद उनका नाम बदलकर माधवी राजे सिंधिया रख दिया गया था. 30 सितंबर 2001 को माधव राज सिंधिया की मृत्यु के बाद उनको राजमाता सिंधिया के नाम से जाना जाने लगा.
बारात के लिए विशेष ट्रेन का किया गया था इंतजाम
माधवराव सिंधिया और माधवी राजे सिंधिया का विवाह दिल्ली में बड़े ही धूमधाम से हुआ था. जिसमें कई विदेशी मेहमान भी सरीक हुए थे. इतना ही नहीं ऐसे में बारात ले जाने के लिए विशेष ट्रेन का इंतजाम किया गया और यह ट्रेन ग्वालियर से बरात लेकर दिल्ली पहुंची थी.
1966 में बनी सिंधिया परिवार की बहू
8 मई 1966 को हुई शादी के बाद माधवी राजे सिंधिया परिवार की बहू बनकर ग्वालियर लौटी थी. जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान महल की ओर जाने वाले पूरे मार्ग पर फूल बिछाए गए थे.
सिंधिया घराने के राजनीति से ताल्लुक रखने के बाद भी माधवी राजे कभी राजनीति में नहीं आईं. हालांकि माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक परिवार का संबल बनी रहीं. कई बार वह प्रचार के लिए जनता के बीच में दिखाई दी थीं.
माधवराव सिंधिया देश के चर्चित राजनेता थे. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. माधवराव ने 1971 में 26 साल की उम्र में गुना से पहला लोकसभा चुनाव जीता था. माधव राज सिंधिया का निधन 30 सितंबर 2001 में दिल्ली से कानपुर जाते वक्त विमान क्रैश में हो गया था.