भू-माफिया ने पूर्व जस्टिस को बनाया निशाना, सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई, मचा हड़कंप

रांची: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एमवाई इकबाल की रांची स्थित जमीन को भू-माफिया द्वारा अवैध तरीके से हड़पने के मामले में झारखंड हाईकोर्ट द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट मित्र के द्वारा जवाब पर उठाए गए सवाल और जवाब में आई खामियों को दूर करते हुए विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 16 मई निर्धारित की गई।

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अतनु बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार को जिस तरीके से काम करना चाहिए था, उस तरीके से काम नहीं किया जा रहा है। आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आनी चाहिए, वह नहीं हो पा रही है। रूटीन में भी काम नहीं हो पा रहा है। काम की रफ्तार धीमी है, जिससे आरोपियों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई धरातल पर नहीं दिखाई दे रही है। आज से छह माह पहले जो भू माफियाओं पर कार्रवाई की संख्या 73 थी, वह अब भी वैसी ही है। छह माह बीत चुके हैं, उसमें कुछ आगे नहीं बढ़ा जा सका है।

पूर्व में अदालत ने सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि कितने भू माफियाओं पर कार्रवाई की गई है, कितने भगोड़े हैं। ऐसे अपराधी के खिलाफ पेपर प्रकाशन किया गया या नहीं। कितने अपराधी के खिलाफ वारंट जारी किया गया है। कितने अपराधी के खिलाफ इश्तेहार और कुर्की जब्ती जारी की गई है। बता दें कि पूर्व जस्टिस की रांची स्थित जमीन पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गई थी। माफिया के द्वारा उनकी बाउंड्री को तोड़कर वहां गेट लगाया जा रहा था, जिसे बाद में भगाया गया। इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है।

झारखंड में अफीम की खेती में रही लगातार बढ़ोतरी मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर मंगलवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वैभव कुमार ने बताया कि राज्य में दुकानों के खुलने और बंद करने का समय लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात को उठाया कि कुछ दुकानें रात 12 बजे तक खुलीं रहती हैं। पता नहीं इतनी रात तक कौन दुकान में और क्या लेने के लिए आता है। कहा गया कि झारखंड स्थापना दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत दुकान का जो समय निर्धारित है, उसके अनुसार ही दुकान को खोलने और बंद करना निर्धारित किया जाए। इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि बिक्री पर रोक लगाने के लिए सभी तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। अदालत ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसके बावजूद भी बिक्री रुक नहीं पा रही है। कहा गया कि राज्य सरकार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ मिलकर ऐसा एसओपी बनाए जो कारगर हो सके। मामले की अगली सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 11 जून को होगी।

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