दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 50 दिनों बाद शुक्रवार (10 मई) को जेल से बाहर आए. इस दौरान AAP के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा गया. देश में पहली बार है जब किसी सीएम की पद पर रहते हुए गिरफ्तारी हुई और इतने लंबे समय तक जेल में रहे.
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. अपनी गिरफ्तारी को सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इसी दौरान उनकी अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कुछ शर्तां के साथ उन्हें 21 दिनों के लिए अंतरिम जमानत दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई शर्त
जमानत शर्तों के तहत उन्हें 50 हजार रुपये का मुचलका भरना होगा. वो CM ऑफिस/दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे. किसी फाइल पर दस्तखत नहीं कर सकेंगे. जरूरी हो तो उपराज्यपाल (एलजी) से अनुमति लेंगे. दिल्ली आबकारी नीति केस में अपनी भूमिका को लेकर कोई बयान नहीं देंगे. किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे.
इससे पहले कई मुख्यमंत्रियों से केंद्रीय एजेंसियों ने अन्य मामलों में पूछताछ जरूर की, लेकिन पद पर रहते हुए उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. 31 जनवरी को जब ईडी ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेएमएम के नेता हेमंत सोरेन से पूछताछ शुरू की तो वो सीएम पद पर थे. हालांकि उन्होंने पूछताछ के दौरान ही ईडी हिरासत में राज्यपाल से मुलाकात कर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.
इसी तरह 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो बीजेपी ने इस्तीफा देने की मांग की. आम आदमी पार्टी ने इसे बड़ी साजिश बताते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. पार्टी का कहना है कि बीजेपी, AAP को खत्म करना चाहती है.
रिहाई के दौरान करना होगा इन शर्तों का पालन
1. अरविंद केजरीवाल केस जुड़े मामले में अपनी भूमिका को लेकर को बयानबाजी नहीं करेंगे।
2. केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।
3. केजरीवाल को 50 हजार रुपये के जमानत बॉन्ड के साथ इतनी ही राशि की जमानत जमा करनी होगी।
4. केजरीवाल आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
5. वह किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे।