जबलपुर. जिले में नर्मदा किनारे 300 मीटर के दायरे में बने हुए पक्के निर्माणों को तोड़ने की कार्रावाई बुधवार 8 मई से शुरू हो रही है. सबसे पहले मंगेली घाट पर बने हुए एक आश्रम की गौशाला और पक्के निर्माण को तोड़ा जा रहा है. इसके बाद जबलपुर से लेकर भेड़ाघाट तक 270 अतिक्रमणों को चिन्हित किया गया है, इनमें से कुछ सरकारी जमीन पर हैं और कुछ निजी जमीन पर. प्रशासन का दावा है कि इन्हें भी एक-एक करके तोड़ा जाएगा या फिर यह लोग खुद अपना अतिक्रमण हटा सकते हैं.
नर्मदा किनारे से हटेगा आश्रम
जबलपुर के मंगेली घाट पर घनश्याम दास त्यागी नाम के संत ने नर्मदा नदी के 300 मीटर के डायरी में एक आश्रम और गौशाला बनाई हुई है. यहां पर संत ने एक पक्का मकान भी बनाया हुआ है लेकिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में कोई भी पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता. इसलिए अब मंगली के इस पक्के निर्माण को हटाया जा रहा है और बुधवार को जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना की मौजूदगी में इस पक्के निर्माण को तोड़ा जाएगा. इसके लिए जबलपुर जिला प्रशासन ने पुलिस और राजस्व हमले की ड्यूटी लगा दी है.
भेड़ाघाट में रिसॉर्ट और होटलों पर खतरा
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद सबसे ज्यादा संकट भेड़ाघाट में खड़ा हुआ है क्योंकि भेड़ाघाट में 90% होटल और रिजॉर्ट नर्मदा नदी से 300 मी की दूरी पर ही बने हुए हैं और यदि इनको तोड़ा गया तो बतौर पर्यटन स्थल भेड़ाघाट को नुकसान हो सकता है. हालांकि, यहां ज्यादातर पुराने निर्माण हैं और उनके हैं जो लंबे अरसे से नर्मदा किनारे रह रहे हैं. वहीं कुछ निर्माण कार्य नए भी हैं. इनमें ज्यादातर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए बनाए हुए होटल और रिसॉर्ट हैं और इन लोगों ने नर्मदा व्यू प्वाइंट के नाम से कई ऐसे स्थल निर्मित कर दिए हैं जो ठीक नर्मदा किनारे हैं.
270 अतिक्रमणों पर होगी कार्रवाई
जबलपुर से भेड़ाघाट के बीच में जिलहरी घाट, न्यू भेड़ाघाट, लमेटा घाट, धुआंधार, मंगेली और खैरानी जैसे घाटों के आसपास कई आश्रम बने हुए हैं. इनमें कुछ शहर के धनी लोगों के हैं और कुछ पैसे वाले बाबा बैरागियों के. जबलपुर जिला प्रशासन की टीम ने ऐसे लगभग 270 अतिक्रमण चिन्हित किए हैं. इनमें कुछ तो निजी जमीन पर हैं वहीं कुछ सरकारी जमीन पर भी बनाए गए हैं। प्रशासन का दावा है कि इन सभी को अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी कर दिए गए हैं