बीजिंग
दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक युद्धाभ्यास कर अपने पड़ोसी देशों को डराने में जुटा चीन सेना पर पानी की तरह से पैसा बहा रहा है। इससे उसका रक्षा बजट पहाड़ जैसा हो गया है। आलम यह है कि चीन का रक्षा बजट अमेरिका के लगभग बराबर हो गया है। अमेरिकी थिंक टैंक अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट ने खुलासा किया है कि चीन का साल 2022 में असली रक्षा बजट 710 अरब डॉलर का था। इससे पहले चीन ने सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि उसका रक्षा बजट 229 अरब डॉलर ही है। वहीं अमेरिका की बात करें तो उसने साल 2022 में सेना पर 742 अरब डॉलर खर्च किए थे। अगर भारत के रक्षा बजट की बात करें तो यह करीब 81 अरब डॉलर था जो चीन से करीब 9 गुना कम है।
अमेरिकी थिंक टैंक ने कहा कि चीन सार्वजनिक रूप सैन्य बजट का गलत आंकड़ा देता है और यह नहीं बताता है कि वह सैन्य तैयारी पर कितना खर्च करता है। चीन ने अपनी सैन्य तैयारी को बहुत तेजी से बढ़ाना शुरू किया है और एयरक्राफ्ट कैरियर से लेकर अत्याधुनिक बॉम्बर बना रहा है। चीन के निशाने पर अमेरिका है जो सबसे ज्यादा सेना पर खर्च करता है। यह आंकड़ा साल 2022 के चीन के सैन्य बजट को लेकर निकाला गया है जो 711 अरब डॉलर था। यह उस साल अमेरिका के बजट से लगभग बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और चीन के बीच समान रक्षा खर्च में भी बीजिंग का फायदा है।
अमेरिका के मुकाबले क्यों फायदे में चीन ?
दरअसल, अमेरिका एक वैश्विक सुपर पावर है और उसे चीन के गढ़ हिंद प्रशांत क्षेत्र से लेकर मध्य पूर्व तक बिखरी अपनी सेना पर खर्च करना पड़ता है। यही नहीं यूरोप में रूस के खिलाफ नाटो देशों की मदद के लिए अमेरिका सेना तैनात किए हुए है। इससे कई थिएटर में अमेरिकी रक्षा बजट बंट जाता है। वहीं चीन का पूरा फोकस एशिया पर है और वह सीधे अपनी सेना पर खर्च कर रहा है ताकि युद्धक तैयारी को बढ़ाया जा सके। वहीं अमेरिका के खुफिया समुदाय ने भी पुष्टि की थी कि चीन का रक्षा बजट लगभग अमेरिका के बराबर ही है।