भोपाल। केंद्र सरकार के आदेश के बाद मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग पढ़ाने पर बैन लगा दिया है, साथ ही ऐसे कोचिंग संस्थानों पर शिकंजा कसा है जो बिना पंजीयन संचालित किए जा रहे हैं. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए इस आदेश से प्रदेश के 40 हजार से अधिक कोचिंग संस्थानों पर ताले लग सकते हैं.
कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगेगी रोक
कई कोचिंग संस्थान फीस वसूलने को लेकर मनमर्जी करते हैं. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी यह आदेश कोचिंग संस्थानों द्वारा की जा रही मनमानी को लेकर भी है, यानि अब कोचिंग संचालक छात्रों से मनमर्जी फीस नहीं वसूल कर सकेंगे. ऐसा करने पर उन्हें जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है. मध्यप्रदेश सरकार अब कोचिंग संस्थानों के लिए नए सिरे से गाडलाइन जारी करेगी.
काेचिंग का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य
अब कोचिंग का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा और इससे छात्रों की सुरक्षा खतरे में डालते हुए गली-मोहल्लों और नुक्कड़ पर धड़ल्ले से कोचिंग सेंटर खोलना संभव नहीं होगा. संस्थान में आग और भूकंप जैसी आपदाओं से बचने का पूरा इंतजाम करना होगा. यही नहीं, ग्रेजुएट से कम पढ़ा लिखा कोई भी शख्स ट्यूशन नहीं दे सकेगा. उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए. छात्रों को परीक्षा में पास कराने की 100 फीसदी गारंटी जैसा कोई भी भ्रामक विज्ञापन नहीं चलेगा.
बीच में कोर्स छोड़ने पर रिफंड होगी फीस
उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के तहत कोर्स की अवधि के दौरान फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी. किसी छात्र के पूरा भुगतान करने के बावजूद कोर्स को बीच में छोड़ने का आवेदन किया है तो पाठ्यक्रम की शेष अवधि का पैसा कोचिंग संस्थान को वापस करना होगा. रिफंड में हॉस्टल और मेस फीस भी शामिल होगी. कोचिंग सेंटर के लिए पर्याप्त जगह के साथ वहां आग और भूकंप जैसे खतरों से बचने का पूरा इंतजाम होना चाहिए.