देश में कपड़ों की ऑनलाइन खरीदारी बढ़ी, लेकिन मॉल और स्टोर्स से शॉपिंग अभी ही ज्यादा – सर्वे

नईदिल्ली: भारत में टेक्सटाइल इंडस्ट्री का दायरा बहुत बड़ा है और दुनिया भर के कपड़ों के ब्रांड यहां बिकते हैं. इस बीच खरीदारी के कई विकल्प मौजूद हैं. कोई कपड़ा लेकर दर्जी से सिलवाता है, तो कोई शोरूम से कपड़े खरीदने को तरजीह देता है, वहीं आज के समय में कपड़ों की ऑनलाइन खरीद में भी खासा इजाफा देखने को मिला है. लेकिन, एक सर्वे में कपड़ों की खरीदारी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जी हां इसमें सामने आया है कि ऑनलाइन खरीदारी भले ही बढ़ी हो, लेकिन लोग कपड़ों के मामले में अभी भी मॉल और स्टोर्स पर जाना ज्यादा सही मानते हैं.  

ऑनलाइन खरीद पर मॉल-स्टोर्स हावी
बिजनेस टुडे पर छपे लोकलसर्कल्स के एक सर्वे के मुताबिक, कपड़ों की शॉपिंग के तमाम विकल्पों की एक विस्तृत रेंज प्रदान करने वाली लोकप्रिय वेबसाइटों के साथ, ऑनलाइन खरीदारी निश्चित रूप से बढ़ी है, लेकिन अभी भी इसपर मॉल और स्टोर्स से की जाने वाली कपड़ों की खरीदारी हावी है. सर्वे के नतीजों को संक्षिप्त में समझें तो इसमें शामिल लगभग आधे उत्तरदाताओं ने माना कि अभी भी कपड़े खरीदने से पहले उसे आजमाने के लिए मॉल और दुकानों पर निर्भर रहते हैं.

मॉल और स्टोर क्यों है अभी भी हावी
लोकलसर्कल्स के सर्वे के नतीजों पर गौर करें तो इसमें शामिल 47 फीसदी उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि वे मुख्य रूप से कपड़ों की खरीद के लिए एक मॉल या स्टोर पर जाना ज्यादा पसंद करते हैं, जहां पर उन्हें कपड़े खरीदने से पहले उन्हें पहनकर ट्राय करने की सहूलियत मिलती है. इसके अलावा 40 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना था कि कपड़ों की खरीदारी इन-स्टोर और ऑनलाइन का एक अच्छा मिश्रण है.

बड़ा है ई-कॉमर्स बिजनेस, फिर भी कपड़ों की खरीद में पीछे
भले ही भारत में ई-कॉमर्स का बिजनेस लगातार बढ़ रहा है और दुनिया भर के ब्रांड्स ऑनलाइन स्टोर्स पर मिल रहे हैं. इसके साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर खरीदारी करने पर तमाम डिस्काउंट्स भी दिए जा रहे हैं. इन सबके बावजूद देश में कपड़ों की खरीद के मामले में ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पीछे हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, 4 फीसदी परिवार ही अब कपड़े खरीदने के लिए अपने विशेष चैनल के रूप में ई-कॉमर्स का उपयोग करते हैं, जबकि 9 फीसदी ने कहा कि उनके कपड़े कस्टम-मेड या दर्जी द्वारा सिलवाकर पहनना पसंद करते हैं.

इस सर्वे में 11,632 लोगों की राय को शामिल किया गया और जिन 4 फीसदी उत्तरदाताओं ने कपड़ों की ऑनलाइन खरीदारी को ज्यादा अहमियत दी, तो इसके पीछे कई कारण भी गिनाए. 37 फीसदी ने अच्छे डिस्काउंट के कारण ऑनलाइन कपड़े खरीदने की बात कही, तो 29 फीसदी ने खरीदारी के बाद रिटर्न और रिफंड की सुविधा के चलते ऑनलाइन खरीद को बेहतर माना. इसके अलावा 26 फीसदी ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान कपड़ों की विभिन्न रेंज मिलती है, जिनमें ओल्ड से लेकर लेटेस्ट डिजाइन तक शामिल हैं, इसलिए ये अच्छा विकल्प है.

फिर भी मॉल और स्टोर्स को अहमियत क्यों?
ऑनलाइन शॉपिंग पर डिस्काउंट्स से लेकर रिटर्न और रिफंड की सुविधा के बावजूद सर्वे में कुल उत्तरदाताओं ने मॉल और स्टोर्स पर जाकर कपड़े खरीदने को ज्यादा अहमियत दी है. इसके पीछे के बड़े कारणों का जिक्र करें, तो 81 फीसदी ने स्टोर्स और मॉल में कपड़े पहनकर चेक करने की सुविधा को बड़ा कारण बताया. इनमें शामिल 28 फीसदी ने बाजार की दुकानों पर मोल-भाव अच्छे से करके कपड़े खरीदने के कारण इस तरह से शॉपिंग करने को पसंद बताया.

ऑनलाइन कपड़े की खरीदारी से दूरी क्यों?  
रिपोर्ट के मुताबिक, इस सर्वे के नतीजों में सामने आया है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के समय ऑनलाइन कपड़े खरीदने के चलन में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली थी, लेकिन इसका प्रकोप थमने के साथ ग्राहक फिर से मॉल और दुकानों की तरफ मुड़ने लगे और खासतौर पर कपड़े की खरीद के मामले में स्थानीय दुकानों और मॉल्स में मौजूद विभिन्न ब्रांड्स के स्टोर्स को प्राथमिकता दी जाने लगी. इसमें सामने आया कि ऑनलाइन कपड़ों की खरीदारी के दौरान जो सबसे बड़ी परेशानियां सामने आईं, उनमें डिलीवरी शुल्क, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा रिटर्न चार्ज जैसे कारण सबसे ज्यादा रहे.

GDP में कपड़ा उद्योग का इतना योगदान
भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग भारत की जीडीपी (India GDP) में लगभग 2 फीसदी का योगदान देता है और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में इसकी हिस्सेदारी 14 फीसदी है. इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) की एक रिपोर्ट की मानें तो देश के विदेशी मुद्रा प्रवाह (Foreign Exchange Inflows) में इसका योगदान 27 फीसदी और देश की निर्यात आय (Ecport Income) में 13 फीसदी है. इसमें कहा गया कि साल 2024 में कुल भारतीय परिधान खपत पर होने वाला खर्च बढ़कर 9.35 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है.

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