केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘उनकी लोकतंत्र में आस्था तब मजबूत होगी, जब उन्हें पता चलेगा कि निर्विरोध चुने गए 35 उम्मीदवारों में से आधे कांग्रेस के थे।
सूरत लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के निर्विरोध जीतने पर राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीनना संविधान खत्म करने की तरफ बढ़ाया गया कदम है। राहुल गांधी के आरोप पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार किया है और बताया कि देश के संसदीय इतिहास में ये पहली बार नहीं है कि किसी को निर्विरोध संसद के लिए चुना गया हो, इससे पहले 35 उम्मीदवार निर्विरोध जीत चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया इतिहास
राहुल गांधी के आरोप पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जवाब दिया। सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में पुरी ने लिखा कि ‘सूरत का चुनाव पहला नहीं है, जहां संसद का निर्विरोध चुनाव हुआ है। देश की आजादी के बाद से 35 उम्मीदवार संसद के लिए निर्विरोध चुने जा चुके हैं। एक बार फिर बिना पूरी जानकारी के टिप्पणी की गई है। सूरत में मुकेश दलाल के निर्विरोध चुनाव पर ऐसी टिप्पणी कर कांग्रेस के युवा नेता ने एक बार अपने मशहूर निकनेम को सार्थक किया है।’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘उनकी लोकतंत्र में आस्था तब मजबूत होगी, जब उन्हें पता चलेगा कि निर्विरोध चुने गए 35 उम्मीदवारों में से आधे कांग्रेस के थे। साजिश रचने का उनका विश्वास उस वक्त डिगेगा, जब उन्हें पता चलेगा कि उनके गठबंधन के नेता डॉ. फारुख अब्दुल्ला 1980 में और डिंपल यादव भी 2012 में निर्विरोध चुनी जा चुकी हैं। उन्होंने शायद अपनी पार्टी के दक्षिण गोवा सीट से उम्मीदवार विरिएटो फर्नांडेज के बयान को नहीं सुना है, जो दोहरी नागरिकता की मांग कर रहे हैं और उनका कहना है कि गोवा पर संविधान थोपा गया।’
क्या कहा राहुल गांधी ने
सूरत चुनाव को लेकर राहुल गांधी ने एक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘तानाशाह की असली सूरत एक बार फिर देश के सामने है। जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है। मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है।’
सूरत लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। वहीं नामांकन के आखिरी दिन आठ उम्मीदवारों ने अपनी उम्मीदवारी से नाम वापस ले लिया था। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल चुनाव की रेस में एकमात्र उम्मीदवार बचे, जिसके बाद उन्हें निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया।