ज्योतिरादित्य सिंधिया, ‘महाराज’ की रईसी जानकर हो जाएंगे हैरान,अकूत संपत्ति के मालिक हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव होने अब कुछ ही वक्त बचा है. मध्य प्रदेश की 6 सीटों पर पहले फेज में चुनाव होगा. एमपी में अब तीसरे चरण के लिए नामांकन का दौर जारी है. तीसरे चरण में प्रदेश की दूसरी हॉट सीट गुना लोकसभा सीट पर चुनाव होगा. यहां से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. सिंधिया ने आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि सिंधिया की कुल चल-अचल संपत्ति कितनी है?

चुनावी हलफनामे के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास 379 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति है. सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के हलफनामे में पैतृक चल संपत्ति 45 करोड़ 24 लाख रुपये बताई थी. हालांकि सिंधिया कुल पैतृक अचल संपत्ति 2 अरब 97 करोड़ रुपये की है. उनके पास एक अरब 81 करोड़ की पैतृक कृषि योग्य भूमि भी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्वालियर में स्थित सिंधिया पैलेस (जयविलास महल) की वर्तमान में कीमत 4,000 करोड़ रुपये है. इस पैलेस में 400 कमरे हैं. हालांकि इस महल के 35 कमरों को संग्रहालय बना दिया गया है. इसे 1874 में बनवाया गया था.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास 12 करोड़ से ज्यादा का सोना और 16 करोड़ से ज्यादा की चांदी है. यह सोना और चांदी उन्होंने विरासत में मिली है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के बैंक में भी काफी रकम है. सिंधिया ने 30228252.13 रुपये के बैंक डिपॉजिट किए हैं. वहीं उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे के बैंक अकाउंट में 662492.50 रुपये हैं. सिंधिया के बेटे आर्यमन सिंधिया और बेटी अनन्या सिंधिया भी करोड़पति हैं. इनके बेटे का बहुत बड़ा बिजनेस है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमाई की जरिया उनका बिजनेस और सांसद और मंत्री के तौर पर मिलने वाली सैलरी है. सिंधिया बिजनेस से एक महीने में करोड़ों की कमाई करते हैं. सिंधिया खानदान के सबसे धनी महाराज होने के साथ ही वह वर्तमान में केंद्रीय उड्डयन मंत्री हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में जिस सीट से उन पर पार्टी ने भरोसा जताया है उसी सीट से पहली बार उन्होंने साल 2002 में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी. वहीं इस सीट पर हार की बात की जाए तो साल 2019 में के पी यादव के सामने उन्हें अपनी पारिवारिक सीट से हार मिली थी.

ज्योतिरादित्य जब तक कांग्रेस में रहे, पूरे रूतबे और धमक के साथ रहे. वे केवल सिंधिया खानदान के ही सबसे धनाढ्य महाराजा नहीं थे, उस वक्त के जो कुछ गिने चुने अमीर नेता थे उनमें ज्योतिरादित्य का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. यूपीए के शासनकाल में ज्योतिरादित्य अमीरी की लिस्ट में टॉपर थे. उस वक्त उनकी प्रॉपर्टी का जो हिसाब लगा, उसमें 2 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति रही जो उन्हें पुरखों से मिली है.

लाखों रुपये की जूलरी और अन्य संपत्तियां अलग थीं. ग्वालियर स्थित जयविलास पैलेस की ख्याति देश-दुनिया में फैली हुई है. यह महल भी सिंधिया खानदान का है जिसके वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. आज इस महल की कीमत लगभग 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की आंकी जाती है.

दुनिया के सर्वोच्च शाही खानदानों से रहे पारिवारिक रिश्ते
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पारिवारिक रिश्ते भी दुनिया के सर्वोच्च शाही खानदानों से रहे हैं. बात नेपाल के राणा खानदान की हो या राजस्थान के राजे खानदान की. ज्योतिरादित्य सिंधिया की शादी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया से हुई है जो खुद बड़ौदा के गायकवाड खानदान से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा सिंधिया घराने का 40 एकड़ में फैला जयविलास महल हो या विंटेज कारों की फेहरिश्त, इस कड़ी में ज्योतिरादित्य सिंधिया को सबसे आगे माना जाता है. 1960 के दशक में बनी बीएमडब्ल्यू इसेट्टा कार भी सिंधिया के घर की शोभा बढ़ाती है.

पिता के निधन के बाद राजनीति में एंट्री
माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री हुई. दिसंबर 2001 में ज्योतिरादित्य सिंधिया आधिकारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हुए. साल 2002 में गुना सीट से ही उपचुनाव जीतकर वह लोकसभा पहुंचे. माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में असामयिक मृत्यु के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य को कांग्रेस ने साल 2002 में हुए उपचुनाव में गुना संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाया. यह उनका पहला चुनाव था और उन्हें राजनीति का ज्यादा अनुभव भी नहीं था. यही वजह थी कि सोनिया गांधी पहली बार किसी उपचुनाव में प्रचार करने गुना पहुंची थीं. इसमें ज्योतिरादित्य ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी.

2004 में पहली बार गुना सीट से निर्वाचित हुए
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2004 में पहली बार शिवपुरी और गुना लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए. कांग्रेस पार्टी से 17 साल तक ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद रहे. ग्वालियर की बात की जाए तो सिंधिया रियासत का बोलबाला ग्वालियर में रहा है और सक्रिय राजनीति में दखल भी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये हैं. जब वह कांग्रेस में थे, तो ग्वालियर चंबल-अंचल के सबसे कद्दावर नेता माने जाते हैं.

2007 में बने सूचना प्रसारण और संचार विभाग के राज्यमंत्री
2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए-1 की सरकार बनी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। 2007 में ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रमोशन हुआ और उन्हें सूचना प्रसारण और संचार विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया. 2009 में वह तीसरी बार चुनाव जीते और यूपीए-2 की सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री बने. 2012 में मनमोहन कैबिनेट में बदलाव हुआ तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को ऊर्जा विभाग का राज्यमंत्री बना दिया गया. 2014 में वह लगातार चौथी बार गुना से चुनाव जीते लेकिन कांग्रेस की सरकार चली गई.

10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया
केंद्र की सत्ता से बाहर होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में सक्रिय हुए. 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी. चुनाव से लगभग एक साल पहले कमलनाथ की एंट्री हुई और वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए. इसके बावजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया लगे रहे. दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से उनका छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर रहा. चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस की सरकार बनी. सिंधिया सीएम बनने के लिए काफी जोर लगाया, लेकिन सीएम न बनने के बाद और राज्यसभा न भेजे जाने के बाद पार्टी से बगावत कर लिया. सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया.

17 साल कांग्रेस में रहने के बाद थामा बीजेपी का दामन
कांग्रेस के बागी विधायकों के दम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. 17 साल कांग्रेस में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा सांसद भेजकर केंद्र में मंत्री बना दिया. 2021 के कैबिनेट विस्तार में उन्हें मोदी सरकार के कैबिनेट में जगह मिली. ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. दिलचस्प यह है कि इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया के पास भी थी. 2022 में इस्पात मंत्रालय का प्रभार नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिला है.

हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था और उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की डिग्री ली. इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रुजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया. ज्योतिरादित्य की 1984 बड़ौदा के गायकवाड़ घराने की प्रियदर्शिनी से शादी हुई है और उनके एक बेटा महा आर्यमान और बेटी अनन्याराजे हैं.

सिंधिया का नाम अमीरी में सबसे ऊपर है
सिंधिया का नाम अमीरी में सबसे ऊपर है तो वे पढ़े-लिखे नेताओं में भी किसी से पीछे नहीं हैं. राजनीति की बात हो या शाही खानदान को चलाने की, इसके लिए महारत और कुशल प्रबंधन की जरूरत होती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इसे पूरी इमानदारी से निभाया है. पढ़ाई के क्षेत्र में सिंधिया की स्कूलिंग उस विद्यालय से हुई है जिसके लोग सपने देखते हैं. जी हां, यहां बात हो रही है देहरादून स्थित दून स्कूल की जिसे एलिट क्लास का माना जाता है. सिंधिया की शुरुआती पढ़ाई इसी स्कूल से हुई. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दुनिया की सबसे मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1993 बीए की डिग्री ली. इससे भी दो कदम आगे जाकर उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली. राजनेता होते हुए इतनी बड़ी डिग्रीधारकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर है

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