गरियाबंद में हाई रिस्क पर गर्भवती महिलाएं, CMHO ने छेड़ा अभियान

गरियाबंद

पुरुषोत्तम पात्र. सुरक्षित मातृत्व योजना  की अनदेखी के चलते जिले में हाई रिस्क जोन पर पहुंचने वाली गर्भवती माताओं के आंकड़े चौकाने वाले थे.  मार्च में जारी एक डेटा के मुताबिक वर्ष 2023-24 में पंजीकृत 13408 गर्भवती महिलाओ में से 1630 यानी 12 प्रतिशत गर्भवती हाई रिस्क जोन में हैं, इनमे से 299 का हिमोग्लोबिन 7 पॉइंट से कम है, जबकि ऐसे समय में 10 पॉइंट से ज्यादा होना चाहिए. यही आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10 प्रतिशत से कम था, वहीं हिमोग्लोबिन कम वाली महिलाओं की संख्या भी 272 थी. नए वित्तीय वर्ष में ये आंकड़े कम हो सके उसके लिए नई महिला सीएमएचओ डॉ गार्गी यदु ने अभी से अभियान चला कर पहले वजह को जानने की कोशिश में जुटी है.

जिन्होंने आयरन कैल्शियम नहीं खाया वहीं हाई रिस्क में
सीएमएचओ डॉ गार्गी महिला रोग विशेषज्ञ हैं, अपने अनुभव का पूरा फायदा मातृत्व सुरक्षा योजना को बेहतर करने में लगाना शुरू कर दिया है. डॉक्टर गार्गी पहले छुरा फिर मैनपुर सीएचसी में दो अलग अलग दिनो में दौरा किया. पंजीकृत माता, उनके परिजन, महिला नर्स व मितानिन को सीएचसी में चर्चा हेतु बुलाया. पहले हाई रिस्क गर्भवतियों से बात की. सीएमएचओ ने कहा की काउंसिलिंग में पता चला कि जो महिलाएं नियमित आयरन कैल्शियम जैसे जरूरी दवा का सेवन नहीं कर रही उन्हे दिक्कत है. उनके परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से बात हुई तो पता चला की ज्यादातर लोग रूढ़ी वादी परंपरा के चलते अस्पताल से नियमित निशुल्क मिल रहे दवा का सेवन नहीं कर रहे. ग्राउंड लेवल पर केयर कर रही मितानिन भी बता रही की जांच,चेक अप व दवा सेवन के लिए बार बार संपर्क करने के बाद भी गर्भवती महिलाएं अनदेखी कर रहे. सीएमएचओ ने कहा की फिलहाल मितानिन व परिवार के सदस्यों को समझाइस दिया गया है. आने वाले समय में जागरूकता लाने शासन से मार्गदर्शन लेकर उचित कदम उठाएंगे.

महिला बाल विकास विभाग की उपेक्षा भी एक वजह
गर्भवती माताओं को मिलने वाले सप्ली मेंट्री आहार की नियमित वितरण अंदरूनी ग्रामीण इलाके में नहीं हो रहा है. जिले के अफसर नियकित मॉनिटरिंग नहीं कर रहे. सर्वाधिक प्रभावित ब्लॉक मैनपुर व देवभोग में ब्लॉक स्तर के अधिकारी कई साल से नही है. सुपर वाइजर के मॉनिटरिंग के भरोसे योजनाओ की खानापूर्ति की जा रही है.इस कारण की पुष्टि स्वास्थ्य अधिकारी ने तो नहीं किया है पर महिला बाल विकास विभाग के मौजुदा अधूरा सेटअप व मितानिनो से जुटाई गई जानकारी से पता चला की विभाग कई योजनाओं की केवल खाना पूर्ति कर रही है.समूहों के माध्यम से गर्भवती माताओं को पौष्टिक आहार की सामग्री का वितरण प्रत्येक गर्भवती हितग्राही को देना है, जो नहीं मिल पा रहा है.

गर्भावस्था के दौरान इन बातों का रखे विशेष ध्यान
डॉ गार्गी यदु कहती है कि एक गर्भवती को कम से कम तीन बार सोनोग्राफी कराना जरूरी है, इसकी सुविधा भी सीएचसी में नही थी जिसकी व्यवस्था भी जल्द कराया जा रहा है. इस जांच से शिशु के ग्रोथ व अन्य परेशानी का समय पर पता चलता है. ग्रामीण इलाके में यह भी पाया गया कि गर्भधारण में कम अंतराल, धारण की जानकारी देरी से होना और इस बीच फोलिक एसिड जैसे आवश्यक दवा का उपयोग नही करना ही हाई रिस्क जोन तक पंहुचा देता है. इससे समय पर पहले जन्म और जन्म के बाद शिशु की अपरिपक्वता बच्चे के सेहत पर बुरा असर करता है. देखने में आया है कि माता के अलावा हाई रिस्क में जन्म 10 से 15 प्रतिशत शिशु के सेहत पर विपरीत असर पड़ा है.यह केवल कुरूती व अज्ञानता के वजह से है इसे दूर करने व्यापक तौर पर अभियान चलाया जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *