सीएम हिमंत बिस्व सरमा बोले- चुनाव बाद असम में बहु विवाह पर लगेगा प्रतिबंध, UCC भी करेंगे लागू

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा…कद्दावर नेता…बेबाक बोल…राष्ट्रवाद पर बेहद मुखर…बयानों में स्पष्टवादिता…जिसे लेकर अक्सर ही चर्चा में रहते हैं। हिमंत दो टूक कहते हैं, चुनाव के बाद असम में न सिर्फ बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे, बल्कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लागू करेंगे। वे साफ कहते हैं कि मदरसा शिक्षा से मुसलमानों का भला नहीं होगा। मुस्लिम बेटे-बेटियों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वैज्ञानिक बनाने की राह दिखानी होगी। उनकी तरक्की के सारे रास्ते बंद हो जाएं, ऐसी शिक्षा नहीं चाहिए। ध्रुवीकरण पर कहा, सामने वाला ऐसा करता है, तो हमें भी करना पड़ता है। मुस्लिमों से वोट नहीं मांगने के सवाल पर बोले- किससे वोट मांगना है…किससे नहीं…यह मेरा अधिकार है। मैं जब जानता हूं कि एक विशेष वर्ग वोट नहीं देगा, तो वहां जाकर वक्त बर्बाद क्यों करना।

पूर्वोत्तर में 25 सीटे हैं। मेरा मानना है कि 22 सीटें एनडीए के पास आएंगी। इसमें से 15-16 भाजपा को मिलेंगी, बाकी गठबंधन को मिलेंगी।

जब हम छात्र राजनीति से मुख्य धारा की राजनीति में आए, तो उस समय कांग्रेस ही ऐसी पार्टी थी, जिसका असम में पूरा कब्जा था। कई राज्यों में सरकारें थीं। हम 2001 से 2014 तक असम सरकार में मंत्री रहे। 2014 में मोदीजी सत्ता में आए, तो कई लोगों को लगा कि जो हम लोग कर रहे हैं, वह रूटीन है। उससे देश में बदलाव नहीं आएगा। अगर देश में तरक्की चाहिए, नया काम चाहिए, तो बदलाव लाने वाला व्यक्ति चाहिए। जिसमें निर्णय लेने की क्षमता हो, जिस व्यक्ति के पास नई दिशा हो, उसके साथ मिलकर काम करना होगा। पूर्वोत्तर भारत पर पीएम मोदी का काफी ध्यान रहा है। हम भाजपा में आए, सरकार बनाई। राज्य में दो-दो बार सरकार बनाई, लोकसभा के दो चुनावों में हमारा अच्छा परिणाम रहा।

अगर असम को देखें तो राज्य तरक्की के रास्ते पर निकल पड़ा है। 2014 के बाद यात्रा बहुत ही सफल रही है। तमाम अलगाववादी संगठनों ने हथियार डाले, चारों ओर विकास की गंगा बहने लगी। इससे हम बहुत ही संतुष्ट हैं। असम में हम वह करने में कामयाब रहे, जो जीवन में कभी सोचा भी नहीं था…इतनी शांति हो सकेगी, युवावस्था में भी नहीं सोचा था।

मेरे लिए असम में ध्रुवीकरण जरूरी है। इसलिए नहीं कि सत्ता में रहें, बल्कि हमारे असम में मूल निवासी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में बने रहें। हमारा अस्तित्व खतरे में न पड़े। इसके लिए, कभी-कभी हम लोगों को इस तरह के मामले उठाने पड़ते हैं। यह हमारी मजबूरी है। जब एक राज्य में 36 प्रतिशत लोग पलायन करके आते हैं और धीरे-धीरे आप अपने देश में ही अल्पसंख्यक बन जाते हैं। सामने वाला भी ध्रुवीकरण करता है, तो हमें भी ध्रुवीकरण करना पड़ता है।हम चुनाव के बाद बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाएंगे। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी लेकर आएंगे। थोड़ा उत्तराखंड का असर देख रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी लेनी है। मुझे लगता है 2026 में वो हो जाना चाहिए।

सरकारी मदरसे तो बंद कर दिए। यह भी तलाश रहे हैं कि कानून के रास्ते से कैसे प्राइवेट मदरसे भी बंद किए जा सकते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि मुसलमान का भला मदरसा शिक्षा से होगा। मुसलमान बेटों और बेटियों को आप सार्वजनिक शिक्षा से जोड़ें। उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वैज्ञानिक बनने की राह दिखाइए। अगर किसी को धार्मिक शिक्षा लेनी है, तो वह घर में ले सकता है, अपने समुदाय में ले सकता है। मुसलमान बच्चों की शिक्षा-दीक्षा बचपन से ही एक अलग रास्ते पर चली जाए और उनके सारे रास्ते बंद हो जाएं, ऐसी शिक्षा नहीं चाहिए।

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