हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आती हैं और 9 दिनों तक यहीं रहकर अपने भक्तों को आर्शीवाद देती हैं। ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके और विधि-विधान के मां दुर्गा की पूजा करते हुए उनका आवाहन किया जाता है। नवरात्रि पर 9 दिनों तक उपवास रखा जाता है।
नवरात्रि के पहले दिन सुबह घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम या अशोक के ताज़े पत्तों का तोरण लगाएं। इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं,जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं।
मां की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें। देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरूर चढ़ाएं ।अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते’ यह मंत्र पढ़ें और आरती करें। देवी माँ की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाएं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। एक वर्ष में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है। जिसमें से दो सामान्य और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। दो सामान्य नवरात्रि में पहली चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि, दूसरी आश्विन माह में मनाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि। इन दोनों ही नवरात्रि पर गृहस्थ लोग देवी दुर्गा की पूजा, उपासना, व्रत और उपवास रखते हैं। जबकि साल में दो गुप्त नवरात्रि भी आती है जिसमें दस महाविद्यायों के लिए साधनाएं की जाती है। ये गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ के महीने में आती हैं। इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए साधनाएं करते हैं।
नवरात्रि के दिन के अनुसार भोग
नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की आराधना की जाती है। भक्त माता को तरह-तरह के भोग लगाकर माता को प्रसन्न करते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में नौ देवियों को उनके पसंद के अनुसार भोग लगाने से देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है। घर में सुख-संपदा की वृद्धि होती है।
नवरात्रि 2024 | नवरात्रि के दिन | माता का भोग |
पहला दिन | मां शैलपुत्री देवी | देसी घी |
दूसरा दिन | ब्रह्मचारिणी देवी | शक्कर,सफेद मिठाई,मिश्री और फल |
तीसरा दिन | चंद्रघंटा देवी | मिठाई और खीर |
चौथा दिन | कुष्मांडा देवी | मालपुआ |
पांचवां दिन | स्कंदमाता देवी | केला |
छठा दिन | कात्यायनी देवी | शहद |
सातवां दिन | कालरात्रि देवी | गुड़ |
आठवां दिन | महागौरी देवी | नारियल |
नौवां दिन | सिद्धिदात्री देवी | अनार और तिल |
नवरात्रि के नौ दिन और नौ देवियां
आज से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और विक्रम संवत 2081 आरम्भ हो गया है और इसी दिन से नौ दिन के नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। मां दुर्गा की पूजा से हमेशा लाभ होता है लेकिन नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा अधिक फलदायी एवं कल्याणकारी होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गाका नौ रूपों की विशेष पूजा आराधना का महत्व होता है। ये नौ देवियां हैं- मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धि दात्री।
चैत्र नवरात्रि 2024
दिन | नवरात्रि दिन | तिथि | पूजा-अनुष्ठान |
09 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 1 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना |
10 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 2 | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी पूजा |
11 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 3 | तृतीया | मां चंद्रघंटा पूजा |
12 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 4 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा पूजा |
13 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 5 | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
14 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 6 | षष्ठी | मां कात्यायनी पूजा |
15 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 7 | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
16 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 8 | अष्टमी | मां महागौरी दुर्गा महाअष्टमी पूजा |
17 अप्रैल 2024 | नवरात्रि दिन 9 | नवमी | मां सिद्धिदात्री, राम नवमी |