उत्तर प्रदेश में चुनावी गहमागहमी के बीच बची लोकसभा की 12 सीटों के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर भी भाजपा हाईकमान ने माथापच्ची शुरू कर दी है। हालांकि इन सीटों पर उम्मीदवारों की सूची रामनवमी के बाद ही जारी होने की बात कही जा रही है।
उधर, इन सीटों से चुनाव लड़ने की दावेदारी करने वाले टिकटार्थियों में भी जमकर रस्साकसी चल रही है। ऐसे में उम्मीदवार तय करने में भाजपा नेतृत्व को अच्छा-खासी मशक्करत से जूझना पड़ रहा है।
बता दें कि भाजपा अपने कोटे की 75 सीटों में अब तक 63 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। शेष 12 सीटों पर उम्मीदवार तय करने हैं। इनमें मैनपुरी, रायबरेली, गाजीपुर, बलिया, भदोही, मछलीशहर, प्रयागराज, फुलपुर, कौशांबी, देवरिया, फिरोजाबाद और कैसरगंज सीटें शामिल हैं।
इन सीटों पर उम्मीदवार तय करने को लेकर भाजपा के सबसे बड़ी उलझन जीताऊ चेहरा तय करने को लेकर है। वहीं, भाजपा पिछली बार जिन तीन सीटों रायबरेली, गाजीपुर मैनपुरी में चुनाव हार चुकी है, उन सीटों पर इस बार हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है। इसलिए भी उम्मीदवार तय करने में जल्दबादी नहीं करना चाहती है।
दरअसल ‘इस बार 400 पार’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भाजपा का सर्वाधिक सीट वाले यूपी पर खास फोकस है। इसलिए भाजपा हर सीट पर ऐसा चेहरा उतारना चाह रही है, जिसके जीतने पर कोई संशय न रहे। वैसे तो सभी 12 सीटों पर दावोदारों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन भाजपा हाईकमान जीताऊ चेहरे को ही मौका देगी। साथ ही पिछले चुनाव में हारी हुई 14 सीटों को जीतने की रणनीति पर भी काम कर रही है।
दावेदारों की लंबी फेहरिस्त ने उलझाया
सूत्रों की माने तो शेष बची सभी सीटों में से अधिकांश पर नए चेहरे को मौका देने पर विचार किया जा रहा है। इसलिए कई मौजूदा सांसदों का टिकट कटने के भी आसार हैं। इस संभावना को देखते हुए एक-एक सीट पर कई लोगों ने दावेदारी कर रखी है। टिकट पाने के लिए कोई संघ से तो कोई संगठन से सिफारिश करा रहा है। ऐसे में उम्मीदवार तय करने को लेकर मामला उलझा हुआ है।
इन सीटों पर है सबसे अधिक उलझन
सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व के सामने सबसे अधिक उलझन रायबरेली, कैसरगंज और गाजीपुर सीट को लेकर है। इनमें रायबरेली और गाजीपुर सीट पर विपक्ष का कब्जा है। जबकि कैसरगंज सीट पर मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह खुद मैदान में उतरने के लिए अड़े हैं।
महिला पहलवानों से जुड़े विवादों से घिरे होने के नाते भाजपा उनके परिवार के किसी सदस्य या उनकी सहमति के किसी अन्य चेहरे को उतारना चाहती है, लेकिन बृजभूषण मानने को तैयार नहीं है। वहीं गाजीपुर और रायबरेली सीट को जीतना भाजपा ने प्रतिष्ठा का का सवाल बना लिया है।
मैनपुरी सीट पर डिंपल का विकल्प तलाश रही भाजपा
सूत्रों का कहना है कि कभी भी भाजपा के खाते में नहीं रही मैनपुरी सीट को जीतने को लेकर भी पार्टी के रणनीतिकार इस सीट पर कब्जा करने के लिए ऐसा चेहरा तलाश रहे हैं, तो डिंपल यादव को कड़ा टक्कर दे सके। भाजपा सपा को उसके ही घर में घेरने की रणनीति के तहत मजबूत विकल्प ढूंढ रही है। मैनपुरी में शाक्य बिरादरी की बड़ी तादाद को देखते हुए वहां की स्थानीय इकाई ने इसी बिरादरी के पार्टी के एक बड़े नेता को चुनाव लड़ाए जाने की इच्छा जताई है। भाजपा नेतृत्व इस पर भी विचार कर रहा है। इसी तरह फिरोजाबाद सीट को भी भाजपा चुनौतीपूर्ण मानते हुए जीताऊ चेहरा तलाश रही है। ।
कई सांसदों के कट सकते हैं टिकट
सूत्रों की माने तो प्रयागराज, फुलपुर और कौशांबी में मौजूदा सांसदों के स्थान पर भाजपा नए चेहरे पर दाव लगा सकती है। चर्चा है कि प्रदेश सरकार के एक मंत्री अपनी पत्नी के एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। उनकी कोशिश है कि इन तीनों में किसी भी एक सीट पर उनकी पत्नी का समायोजन कर दिया जाए।
इसके लिए उन्होंने ऊपर से एक बड़े पदाधिकारी से दबाव बनवा रखा है। इस वजह से इन तीनों पर भी उम्मीदवार तय करने को लेकर मामला फंसा हुआ है। उधर यह भी तय माना जा रहा है कि शेष बची सीटों पर दावेदारों की पेशबंदी की वजह से कई मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं।