दिल्ली की राजनीति में अब महिला शक्ति का वार-प्रतिवार दिखेगा। आम आदमी पार्टी को सुनीता केजरीवाल के रूप में एक कद्दावर चेहरा मिल गया है। लिहाजा अब भाजपा भी अपनी बदली रणनीति के तहत महिला नेताओं से ही काउंटर अटैक कराने में मूड में है। इसकी बानगी देखने को भी मिल रही है। प्रदेश मंत्री बांसुरी स्वराज को सुनीता केजरीवाल का काउंटर अटैक करने के लिए उतार दिया है।
उधर, भाजपा आलाकमान भी इसी रणनीति को लोकसभा चुनावी अभियान के दौरान जारी रखने की नीति पर आगे बढ़ने का संकेत दिया है। इसी नीति पर आगे बढ़ते हुए दिल्ली विधानसभा के दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने भी दिवंगत मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दिवंगत केंद्रीय मंत्री व दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं सुषमा स्वराज के खिलाफ बतौर भाजपा का चेहरा पेश किया था।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के न्यायिक हिरासत में जाने के बाद आम आदमी पार्टी ने सुनीता केजरीवाल को उतार कर सहानुभूति कार्ड खेल रही है। शुरू में तो आप ने दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी को आगे किया था। अब रणनीति बदलते हुए खुद मैदान में मुख्यमंत्री की पत्नी उतर गई हैं।
इस कार्ड के काट के रूप में भाजपा के रणनीतिकारों ने महिला ब्रिगेड को आगे करने की मुहिम में है। भाजपा शुरू से आम आदमी पार्टी की सरकार पर दिल्ली कैबिनेट में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर आवाज भी उठाती रही है। हालांकि, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आतिशी को कैबिनेट में शामिल किया गया। अब जब सुनीता केजरीवाल जब दिल्ली की राजनीति में कूद पड़ी हैं तो भाजपा की नीति में भी बदलाव दिखने लगा है।
इंडिया गठबंधन की रैली को लेकर राजनीति गलियारों में वार-प्रतिवार का सिलसिला लगातार जारी है। बांसुरी स्वराज ने सोमवार को सुनीता स्वराज से सवाल किया कि बताएं कि क्या वह अब अघोषित रूप से मुख्यमंत्री हैं? क्योंकि अब वही केजरीवाल की सरकारी मुख्यमंत्री कुर्सी का इस्तेमाल प्रेस संदेश देने में कर रही हैं? आप का कहना था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली है, जबकि कांग्रेस का दावा था कि यह रैली किसी व्यक्ति विशेष के समर्थन में नहीं है।
महिला केंद्रित होता दिल्ली का चुनाव
राजनीति के जानकार बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली का सत्ता संग्राम महिला केंद्रित होता दिख रहा है। खासतौर से आप की तरफ से मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल के मोर्चा संभालने के बाद से। वह भावनात्मक तरीके से मुख्यमंत्री के संदेश के जरिये आप के चुनावी अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। सुनीता केजरीवाल के साथ दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी भी मौजूद रहती हैं। वहीं, आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ व मेयर शैली ओबराय भी बीच-बीच में सियासी मैदान में दिखती हैं।
ऐसे में भाजपा ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। आप की महिला ब्रिगेड के खिलाफ प्रदेश मंत्री बांसुरी स्वराज, सहप्रभारी अलका गुर्जर को आगे किया है। इनके साथ प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की ऋचा पांडेय मिश्रा व महामंत्री कमलजीत सहरावत भी रहेंगी। भाजपा नेताओं का मानना है कि इससे आप की महिला ब्रिगेड को करारा जवाब दिया जा सकेगा।
सियासत में भी उलटफेर होते देखा है दिल्ली वालों ने
एक वक्त था जब सुषमा स्वराज भाजपा की ट्रंप कार्ड थीं। दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुषमा स्वराज को बतौर मुख्यमंत्री का चेहरा पेश किया था। वहीं, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दिल्ली प्रदेश की कमान शीला दीक्षित को देकर राजधानी की सियासी जंग को दिलचस्प बना दिया। शीला ने प्रदेश संगठन को सक्रिय किया। खुद को दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज के विकल्प के तौर पर भी स्थापित किया। सुषमा स्वराज भी बतौर दिल्ली की मुख्यमंत्री बेहतर जिम्मेदारी निभा रही थीं। हालांकि, प्याज की महंगाई पर भाजपा चुनाव हार गई थी।