मध्य प्रदेश में रविवार को शीतला सप्तमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शीतला सप्तमी का त्योहार परिवार के लिए महिलाओं का विशेष व्रत और त्योहार माना जाता है। इसी के चलते देपालपुर के शीतला मंदिर पर देर रात 12 बजे से ही महिलाओं की भीड़ उमड रही है। वही यहां पर 17 साल से लगातार पार्षद रवि चौरसिया निशुल्क बैठक व्यवस्था, कालीन, लाइट व पीने के पानी की व्यवस्था करते है।
आज का दिन शीतलता और पावनता देने वाली मां शीतला का व्रत महिलाओं के लिए विशेष दिन माना जाता है। आज के दिन महिलाएं शीतला माता का विशेष पूजन अर्चन करती है और उसी को लेकर एक दिन पहले भोजन पकवान बनाती है। जिसे दूसरे दिन पूजन के बाद पूरा परिवार इस ठंडे भोजन को खाता है।
मान्यता है कि, शीतला सप्तमी के दिन माता को एक दिन बासा ठंडा भोजन ही प्रिय है और इसी मान्यता के चलते महिलाएं एक दिन पूर्व ठंडा नैवेद्य भोजन बनाती है और दूसरे दिन परिवार के लोग इसे खाते हैं। देपालपुर का शीतला मंदिर क्षेत्र में एकमात्र होने से यहां दूर-दूर से महिलाएं पहुंचती है। जहां देर रात 12 बजे से ही महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो की दोपहर तक चलता है। यहां पूजन के लिए तीन से चार घंटे लाइन में लगती है फिर उनका नंबर आता है।
शीतला माता के पूजन के बाद महिलाएं मंदिर के बाहर गुणा देवता की पूजा करती हैं। जिसके बाद पथवारी पूजते हुए होलिका का पूजन भी महिला द्वारा किया जाता है। इसके बाद ही महिलाएं घर पहुंच कर घर के बाहर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। ताकि परिवार बाहरी बाधा से बचे रहे इसके बाद रसोई में जाकर चूल्हा जलाती है। बताया जाता है कि पुराने जमाने में कई लोगों को त्वचा संबंधित रोग और कुष्ठ रोग हो जाते थे तो माता शीतला के मंदिर से जल ले जाकर उन पर लगाया जाता था। जिससे वे ठीक हो जाते थे।