‘भगवान’ शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ होता है : भाग्यवान। इसका अर्थ होता है : भाग्यशाली। तुम भगवान हो,. इसका अर्थ तुम भाग्यशाली हो। भाग्य का अर्थ होता है : तुम्हारा भविष्य है। भाग्य का अर्थ होता है तुम वहीं समाप्त नहीं जहां तुम हो, तुम्हारा भविष्य है।
एक पत्थर है, एक कंकड़ है—उसका कोई भविष्य नहीं। कंकड़ भगवान नहीं। वह कंकड़ ही रहेगा। उसी के पास एक बीज पड़ा है, बीज भगवान है; उसका भविष्य है। कंकड़ को, बीज को दोनों को मिट्टी में डाल दो, थोड़े दिन बाद कंकड़ तो कंकड़ ही रहेगा, बीज उग आयेगा, पौधा बन जायेगा। बीज का भविष्य है। जहां भविष्य है, वहीं भगवान छिपा है।
भाग्य का अर्थ होता है : तुम भविष्य के मालिक हो। अतीत पर तुम समाप्त नहीं हो गये हो। जो हुआ है, उस पर तुम चुक नहीं गये हो। अभी बहुत कुछ होने को है। यह मतलब होता है भगवान का। भगवान का अर्थ होता है : समाप्त मत समझ लेना, पूर्ण विराम नहीं आ गया है। अभी कथा आगे जारी रहेगी। सच तो यह है कि कथा कभी समाप्त नहीं होगी। भगवान का अर्थ है. तुम कुछ भी हो जाओ, सदा होने को शेष रहेगा। संभावना बनी ही रहेगी। बीज फूटता ही रहेगा। वृक्ष बड़ा होता ही रहेगा। फूल लगते ही रहेंगे। फूल पर फूल, फूल पर फूल लगते रहेंगे। कमल पर कमल खिलते चले जायेंगे—जिनका कोई अंत नहीं! अंतहीन है तुम्हारी संभावना। तुम्हारा भविष्य विस्तीर्ण है।
लेकिन तुमने भगवान की पत्थर की मूर्तियां बना रखी हैं। पत्थर की भूल कर भगवान की मूर्ति मत बनाना, क्योंकि पत्थर में बहाव तो बिलकुल नहीं है।हिंदू बेहतर थे; नदी को पूज लेते थे, सूरज को पूज लेते थे—उसमें कहीं ज्यादा भगवत्ता है। झाडू को पूज लेते थे, उसमें कहीं ज्यादा भगवत्ता है। तुम जरा फर्क समझना। झाडू कम—से—कम बढ़ता तो है, गतिमान तो है। नदी बहती तो है, प्रवाहमान तो है। सूरज निकलता तो है, उगता तो है, बढ़ता तो है, वृद्धिमान तो है। तुमने बना ली संगमर्मर की मूर्ति; वह मुर्दा है, उसमें कहीं कोई गति नहीं है। तुमने कंकड़ों की मूर्तियां बना लीं, बीज की मूर्ति बनानी थी।