यूपी में सहयोगियों के लिए कितनी सीटें छोड़ेगी भाजपा?

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आगामी लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के साथ 370 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सहयोगी दलों के लिए सीटें देने के लिए मंथन हुआ। गुरुवार को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक से पूर्व प्रधानमंत्री निवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की करीब छह घंटे तक बैठक चली। 

इस बैठक में 21 राज्यों की 300 सीटों पर उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर लिया गया। हालांकि इस बैठक में पंजाब, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में गठबंधन पर बातचीत तय होने तक उम्मीदवार घोषित नहीं करने का फैसला किया गया।

सहयोगी दलों को छह सीटें दे सकती है भाजपा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों में से भाजपा यूपी में सहयोगी दलों को छह सीट छोड़ सकती है। इसमें राष्ट्रीय लोकदल दो सीटों मिल सकती हैं, रालोद के अलावा अपना दल पार्टी भी दो सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। जबकि निषाद पार्टी और ओम प्रकाश राजभर की सुभासुपा के लिए एक-एक सीट छोड़ी जा सकती है। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 

आपको बता दें कि पीएम की अगुवाई में हुई मैराथन बैठक के बाद पार्टी मुख्यालय में देर रात सीईसी की बैठक शुरू हुई। बैठक में उत्तर प्रदेश में सहयोगी दलों को सीटें देने पर मंथन हुआ। बैठक में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, गुजरात, असम, झारखंड, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, अंडमान निकोबार, ओडिशा, दिल्ली, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर की सीटों पर मंथन हुआ।

इनसे जुड़ी करीब 300 सीटों पर तीन-तीन उम्मीदवारों का पैनल तैयार किया गया। पार्टी की योजना एक या दो मार्च को पहली सूची जारी करने और दस मार्च तक तीन सौ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने की है।

दिल्ली की चार सीटों पर नए चेहरों को उतारने की तैयारी

आगामी लोकसभा चुनाव में राजधानी दिल्ली के मतदाता भाजपा की ओर से नए चेहरों का दीदार करेंगे। बीते चुनाव में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा इस बार राजधानी की सात में से कम से कम चार सीटों पर नए चेहरों को मौका देगी। पार्टी नेतृत्व ने इस बार मनोज तिवारी, रमेश विधूड़ी और प्रवेश वर्मा को ही दोबारा मौका देने का मन बनाया है।

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