ग्वालियर। मध्य प्रदेश की खाकी पर यूं तो कई तरह के आरोप लगातार लग रहे हैं, लेकिन एक ऐसा कारनामा सामने आया है जहां केस को खत्म करने के लिए खाकी ने अजब गजब तरीका निकाला। दूसरे के मौत के दस्तावेज लगाकर लापता युवक की तलाश ही खत्म कर दी गई। साथ ही हाइकोर्ट को भी गुमराह करने से नहीं चुके। ग्वालियर हाईकोर्ट में लापता युवक के पिता द्वारा लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के दौरान यह खुलासा हुआ। पुलिस की गोल-गोल रिपोर्ट में न पिता से शिनाख्त कराई गई न ही शव सुपुर्द किया गया। कोर्ट ने 3 साल बाद फिर याचिका को सुनवाई में लेने का निर्देश देते हुए फरवरी के अंतिम सप्ताह में अगली सुनवाई निर्देशित की है।
दरअसल, यह पूरा मामला मध्यप्रदेश की मुरैना पुलिस से जुड़ा है। जहां मुरैना पुलिस ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया की लापता को खोजने की जगह दूसरे मृतक के दस्तावेज लगाकर केस ही खत्म कर दिया। लापता बेटे की तलाश के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने वाले पिता ने कोर्ट से गुहार लगाते हुए बताया कि पुलिस ने किसी और की मौत के दस्तावेज रिपोर्ट में लगाकर कैस खत्म कर दिया, जबकि उसका बेटा अभी भी लापता है। पीड़ित पिता ने चार लोगों पर बेटे को बंदी बनाने का संदेह जताया है।
अचानक गायब हो गया था बेटा
जानकारी के अनुसार साल 2019 में पप्पू रावत का बेटा छोटू रावत अचानक गायब हो गया था। पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और मक्खन, पदम, राजेश और राजाराम रावत पर बेटे को बंधक बनाने का आरोप लगाया था। कुछ समय बाद पुलिस ने रिपोर्ट पेश की, जिस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट निष्कर्ष पर पहुंची कि छोटू रावत की मौत हो चुकी है। 18 फरवरी 2021 को हाईकोर्ट ने इसके चलते याचिका को निराकृत करते हुए खत्म कर दिया।
पिता ने नहीं मानी हार
लापता छोटू रावत के पिता पप्पू रावत ने यूं ही हार नहीं मानी और पुलिस के कारनामे को उजागर करने की ठानते हुए आगे बढे। इस दौरान उन्होंने देखा कि मुरैना पुलिस ने कोर्ट में गोल-गोल रिपोर्ट पेश की है। क्योंकि न तो पुलिस ने पिता से मृतक के शव की शिनाख्त कराई और न ही शव सुपुर्द किया। पिता द्वारा कोर्ट में आवेदन देकर पुलिस द्वारा पेश की गई रिपोर्ट की नकल निकाल ली गई। उसमें इस बात की पुष्टि के साथ खुलासा भी हो गया, कि जिसक मृतक की रिपोर्ट पुलिस ने कोर्ट में पेश की थी वो छोटू रावत की नही बल्कि वीरु रावत पुत्र हरण रावत नाम के मृतक की थी।
मुरैना पुलिस से मांगा जवाब
इसके बाद पिता पप्पू रावत ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई। जहां सुनवाई के दौरान मुरैना पुलिस के कारनामे का खुलासा हुआ। इस गंभीर लापरवाही पर हाईकोर्ट ने फरवरी महीने के अंतिम सप्ताह में सुनवाई तय की है। सुनवाई के दौरान मुरैना पुलिस से जवाब प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए है।