संजय गांधी से दोस्ती, इंदिरा के तीसरे बेटे कहे गए; कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बीच कमलनाथ को जानें

मध्य प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं। उन्होंने शनिवार को अपना छिंदवाड़ा दौरा रद्द किया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उनके साथ उनके सांसद बेटे नकुलनाथ भी दिल्ली पहुंचे हैं। भाजपा में शामिल होने के बारे में जब कमलनाथ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब ऐसी कोई बात होगी तो मीडिया को जरूर बताऊंगा।  

कमलनाथ कौन हैं? उनका सियसी सफर कैसा रहा है? कांग्रेस में किन-किन पदों पर रह चुके हैं? मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल कैसा रहा था? उनके बेटे की सियासत में क्या भूमिका रही है? अब पिता-पुत्र के भाजपा में जाने की अटकलें क्यों लग रही हैं? आइये जानते हैं.

कानपुर के व्यवसायी परिवार में हुआ जन्म
नौ बार लोकसभा सांसद रहे कमलनाथ का जन्म नवंबर 1946 में कानपुर में एक व्यवसायी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्र नाथ जबकि माता का नाम लीला नाथ है। उनके पिता एक बड़े व्यवसायी थे जिन्होंने फिल्मों के प्रदर्शन और वितरण, प्रकाशन, व्यापार पावर ट्रांसमिशन से जुड़ी कंपनियों की स्थापना की थी। कमलनाथ ने शुरुआती पढ़ाई देहरादून के प्रतिष्ठित स्कूल दून में की। दून स्कूल में वह संजय गांधी के क्लासमेट रहे। 

कमलनाथ ने 1968 में कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से बी.कॉम किया। कमलनाथ का विवाह जनवरी 1973 में अलका नाथ से हुआ। उनके दो बेटे हैं और नकुलनाथ और बकुलनाथ हैं। नकुलनाथ फिलहाल पिता की परंपरागत छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद हैं। 

कमलनाथ का सियासी सफर कैसा रहा है?
संजय गांधी की दोस्ती कमलनाथ की राजनीति पारी के आगाज का जरिया बनी। 1968 में कांग्रेस में शामिल हुए। जैसे-जैसे कांग्रेस में उनका समय गुजरा वह गांधी परिवार के करीब होते गए। लोग कहते थे कि कमलनाथ को इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे के तौर पर देखा जाता था। कमलनाथ की सियासी पारी पर नजर डालें तो 1980 में सातवीं लोकसभा में चुनाव जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद 1985, 1989, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में भी जीतकर संसद के निचले सदन तक पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। 

इस बीच कई सरकारों में उन्होंने मंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाली। कमलनाथ ने 1991-1995 तक पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 1995-1996 तक वस्त्र मंत्रालय में केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 2004 से 2009 तक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में केन्द्रीय मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद दिग्गज कांग्रेस नेता 2009 से जनवरी 2011 तक केन्द्रीय मंत्री सड़क परिवहन और राजमार्ग, जनवरी 2011 से मई 2014 तक केन्द्रीय मंत्री शहरी विकास और अक्तूबर 2012 से मई 2014 तक केन्द्रीय मंत्री संसदीय कार्य रहे। 

2018 में कांग्रेस सत्ता में आई तो बने मुख्यमंत्री
कमलनाथ 2001 से 2004 तक कांग्रेस के महासचिव के पद पर भी रहे। साल 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तासीन भाजपा को हराकर कांग्रेस सत्ता में आई। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ मुख्यमंत्री बनाए गए। अप्रैल 2019 के उप-चुनाव में जीत के बाद वह पहली बार विधायक बने। कमलनाथ 17 दिसंबर 2018 से 20 मार्च 2020 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों की बगावत के बाद महज 15 महीनों में ही कमलनाथ वाली कांग्रेस सरकार गिर गई। कमलनाथ 2020 से 2022 तक नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं।

2023 विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटे
पिछले साल दिसंबर में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कमलनाथ कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे। पार्टी इस चुनाव में जीत का दावा कर रही थी। कई सर्वे में कांग्रेस को बढ़त भी दिखाई गई, लेकिन चुनाव के नतीजों में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। हार का ठीकरा कमलनाथ के सिर फूटा। इसके बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उनकी जगह जीतू पटवारी मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। कहा जा रहा है कि पद से हटाए जाने के बाद कमलनाथ केंद्र की राजनीति में जगह चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी भी नहींं मिलने और दिग्विजय सिंह से अनबन के चलते अब उनके भाजपा में जाने की अटकलें लग रही हैं।

कमलनाथ के बारे में यह भी
मध्य प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, कमलनाथ जनजातीय और दलित वर्गों का विकास, वन्य जीव, बागवानी और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों में रूचि रखते हैं। उनकी ‘इंडियास एनवायरनमेंटल कंन्सर्स’, ‘इंडियास सेंचुरी’ और ‘भारत की शताब्दी’ नामक पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हाल ही निर्वाचित विधानसभा के करोड़पति विधायकों में हैं। छिंदवाड़ा सीट से जीते पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पास 134 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।   

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