लखनऊ.:अयोध्या के भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इस समारोह को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर सेलिब्रेट करने की तैयारी है। इसे लेकर देश-विदेश की कई जानी-मानी हस्तियों को निमंत्रण भेजा जा रहा है। जी हां, भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग प्राण प्रतिष्णा समारोह में शामिल होंगे। विश्व हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने इस बारे में और अधिक जानकारी दी।
बातचीत में उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए दूसरे देशों में भी निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजदूतों और सांसदों सहित 55 देशों के करीब 100 प्रमुखों को आमंत्रित किया जा चुका है। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर नेपाल में भी काफी उत्साह है। यहां के जनकपुर में कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ उत्सव मनाया जाएगा। जनकपुर को भगवान राम की पत्नी सीता का जन्मस्थान माना जाता है। सीता का दूसरा नाम जानकी है, जो जनकपुर के राजा जनक की पुत्री थीं। यह काठमांडू से 220 किलोमीटर दक्षिणपूर्व और अयोध्या से लगभग 500 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री बिमलेंद्र निधि ने कहा, ‘हमारी बेटी, माता जानकी का विवाह भगवान राम से हुआ था। हम बहुत उत्साहित और गौरवान्वित हैं कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। जब भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया तो जनकपुर के लोग बहुत खुश थे।’
मॉरीशस ने भी अधिकारियों को दिया विशेष अवकाश
वहीं, मॉरीशस सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान पूजा-अर्चना में शामिल होने के लिए हिंदू धर्म के लोकसेवकों को 2 घंटे का विशेष अवकाश देने का निर्णय किया है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने इसे लेकर बयान जारी किया। इसमें कहा गया, ‘कैबिनेट ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के संदर्भ में हिंदू धर्म के लोकसेवकों को 2 घंटे के लिए विशेष छुट्टी देने पर सहमति व्यक्त की है। यह ऐतिहासिक क्षण है जो अयोध्या में भगवान राम की वापसी का प्रतीक है।’ हिंदू धर्म के अनुयायियों की संख्या मॉरीशस में सबसे अधिक है। 2011 में हिंदुओं की आबादी लगभग 48.5 प्रतिशत थी। मॉरीशस अफ्रीका का एकमात्र देश है जहां हिंदू धर्म सबसे अधिक प्रचलित धर्म है। प्रतिशत के संदर्भ में राष्ट्र हिंदू धर्म के प्रसार में नेपाल और भारत के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।