दशकों की मशक्कत, जोर आजमाइश, संघर्ष और आंदोलन के बाद अब 22 जनवरी को रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान होंगे। इस मौके पर आयोजित समारोह में अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन में सबसे आगे रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल होंगे। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इसकी जानकारी दी है। अभी तक उनकी तबीयत और उम्र को देखते हुए कहा जा रहा था कि शायद वे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न हो सकें, लेकिन अब उनकी उपस्थिति पर मुहर लग गई है।
न आने की लग रही थी अटकलें
राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पहले ही निमंत्रण दिया गया था। हालांकि उनकी उम्र को देखते हुए यह तय नहीं था कि वे अयोध्या पहुंचेंगे। हालांकि तब विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक वक्तव्य जारी कर कहा था कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का अनुरोध किया गया है। दोनों नेताओं के आवास पर जाकर ट्रस्ट के नेताओं ने उन्हें निमंत्रण पत्र सौंपा है।
चंपतराय ने आडवाणी की थी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न आने की अपील
इससे पहले, राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि समारोह के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है, लेकिन अपील यही है कि कृपया वह ना आएं। क्योंकि उनकी उम्र बहुत ज्यादा है। ठंड का मौसम रहेगा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि आडवाणी के बारे में बार बार सवाल पूछना उनका मजाक उड़ाना है। बता दें कि आडवाणी इस समय 96 साल के हो गए हैं।
राम मंदिर निर्माण को राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बनाने में आडवाणी का था अहम योगदान
राम मंदिर निर्माण को राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बनाने में लालकृष्ण आडवाणी ने अहम भूमिका अदा की। वह आडवाणी ही थे जिन्होंने विहिप की ओर से शुरू किए गए आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन बनाया। सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाल कर इस आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा बनाया। इसी आंदोलन की बदौलत भाजपा की ताकत बढ़ाई। विवादस्पद ढांचा विध्वंस मामले में आरोपी बनाए गए थे। वर्तमान में आडवाणी सक्रिय राजनीति से दूर हैं।