माफिया विनोद उपाध्याय का जरायम की दुनिया में बड़ा नाम था। विनोद उपाध्याय ने अपनी पहचान छात्र राजनीति के जरिए जमाई थी। बात 2002 विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की है। इसमें विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक व्यक्ति को लड़वाया था। चुनाव में उसकी जीत के साथ ही विनोद के हनक का सिक्का बाजार में चलने लगा। यही नहीं दो साल बाद इसने फिर से छात्रसंघ के प्रमुख पद पर अपने एक प्रत्याशी को लड़वाया। लेकिन लिंगदोह समिति के नियमों की वजह से वह चुनाव नहीं लड़ सका। इस बीच उसकी मौजूदगी जरायम की दुनिया में हो चुकी थी।
वर्ष 2003 में विश्वविद्यालय के छात्रसंघ का चुनाव हुआ था। उस समय छात्रसंघ राजनीति प्रत्याशी कम और उसके समर्थकों की दबंगई पर आधारित हुआ करती थी। विनोद ने अपने साथी को चुनाव लड़ाया। इस समय तक विनोद के ऊपर आपराधिक मामले बहुत दर्ज नहीं थे और न ही विनोद को अपराधी की श्रेणी में गिना जाता था। चुनाव के पीछे मंशा थी कि अगर उसका प्रत्याशी चुनाव जीतता है तो उसकी धमक अपने आप बढ़ जाएगी। हुआ भी यही।
चुनाव बड़ी सरगर्मी से संपन्न हुआ। मतदान के दिन विश्वविद्यालय गेट के पास उसके और विरोधी गुट के प्रत्याशी के बीच जमकर मारपीट भी हुई। कहा जाता है कि विरोधी गुट के प्रत्याशी को ही विनोद के गुट ने जमकर पीट दिया था। चुनाव हुआ और परिणाम विनोद के पक्ष में आया। इसी जीत के बाद उसका कद उसके वर्ग के मनबढ़ लोगों के बीच बढ़ने लगा। 2006 में एक बार फिर छात्रसंघ का चुनाव हुआ। लेकिन इस बार इनके पक्ष के प्रत्याशी को लिंगदोह की शर्तों की वजह से मैदान से हटना पड़ा। इसी के बाद 2007 में पीडब्लूडी कांड हो गया। इस घटना में विनोद के साथ छात्रसंघ का प्रत्याशी भी आरोपी बना था। वर्तमान में आरोपित भाजपा से राजनीति का दावा करता है।
बसपा शासनकाल में बनवाया था अपना चेयरमैन
बसपा शासन काल में विनोद उपाध्याय ने अपनी हनक और बढ़ा ली थी। उस समय जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर उसने एक पूर्व विधायक के पक्ष के प्रत्याशी को हरवाकर अपने पक्ष के प्रत्याशी को चेयरमैन बनवाया था। इसके बाद उसकी हनक अपने लोगों के बीच और बढ़ गई थी।
एमजीपीजी छात्रसंघ के शपथ ग्रहण में बना था मुख्य अतिथि
अपराधी विनोध उपाध्याय एक समय था युवाओं की पहली पसंद बना हुआ था। 2006 के एमजीपीजी छात्रसंघ चुनाव परिणाम के बाद नई कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि बनकर विनोद पहुंचा था। उसने नई कायकारिणी के पदाधिकारियों के पद की शपथ दिलाई थी।
नई उम्र के युवाओं को बनाया था सिपहसलार
विनोद 2007 पीडब्लूडी कांड के बाद अक्सर चर्चा में रहने लगा। उसके साथ युवाओं की लंबी टीम भी थी। जो इसके साथ लाइसेंसी असलहों को लेकर चलती थी। शादी विवाह हो या अन्य समारोह इस टीम के सदस्यों के दम पर विनोद अपनी पहचान अलग बना लेता था। इसी के साथ के दो अपराधी गंगेज पहाड़ी और दीपक सिंह की हत्या कर दी गई थी।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष पर हमला कर आया था चर्चा में
विनोद उपाध्याय ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष पर जानलेवा हमला किया था। इस हमसे में उसके साथ कुछ अन्य सहयोगी भी थे। इसी हमले के बाद विनोद की चर्चा लोगों के बीच होने लगी।