देश में लागू हुए नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं। भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवर पर 7 लाख रुपए तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन ने चक्काजाम का आह्वान किया। इसके बाद से देशभर में हड़ताल शुरू हो गई है। ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्टर्स ने शनिवार 30 दिसंबर को जयपुर, मेरठ, आगरा एक्सप्रेस वे सहित कई हाईवे पर प्रोटेस्ट किया।
गुजरात में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज
गुजरात में ट्रक चालकों ने राजकोट-अहमदाबाद हाईवे बंद कराने की कोशिश की, जिससे लंबा जाम लग गया। इस दौरान भीड़ में से कुछ लोगों ने एक बस की खिड़की के कांच तोड़ दिए। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ लोग घायल हो गए। यहां कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।
ट्रक चालकों ने राजकोट-अहमदाबाद हाईवे को बंद करने की कोशिश की, जिससे लंबा जाम लग गया।
ट्रकों की हड़ताल से जरूरी चीजों के दाम बढ़ेंगे
इस हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। वहीं, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रुक जाएगी, जिससे लोकल ट्रांसपोर्ट और आम लोगों को आवाजाही में दिक्कत होगी।
भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं। देश में 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं, जो हर दिन जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं। हड़ताल के कारण इतनी बढ़ी संख्या में ट्रकों के रुकने से जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है।
हिट एंड रन कानून पर विचार करे सरकार
AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानती, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए।
नए प्रावधान को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन के मामलों में कड़े कदम उठाने की जरूरत जरूर है। इस नए कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस और कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव
AIMTC का कहना है कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। ऐसे मामलों में जब कोई एक्सीडेंट होता है, तो बिना किसी जांच के बड़े वाहन चालक की गलती करार दी जाती है। यह नहीं देखा जाता की गलती बड़े वाहन चालक की है या छोटे वाहन चालक की।
मामले में अध्यक्ष मदान का कहना है कि जब भी कोई दुर्घटना होती है तो ड्राइवर बचने के इरादे से नहीं भागता बल्कि, बेकाबू होती भीड़ से खुद की जान बचाने के लिए भागता है। ऐसे में उस पर सजा का प्रावधान और जुर्माना लगाना ठीक नहीं है।