जबलपुर : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार अमित शाह आज शनिवार के एक दिन के लिए जबलपुर पहुंचे. उन्होंने 1857 की क्रांति के अमर शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद अमित शाह बीजेपी के संभागीय दफ्तर में संभागीय पदाधिकारियों की बैठक ली और चुनाव में जीत का मंत्र दिया. बैठक में अमित शाह ने जबलपुर संभाग के प्रत्याशियों से 1 टू 1 चर्चा के अलावा कुछ नाराज दावेदारों से भी बातचीत की. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा के साथ मध्य प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे.
दरअसल, बीजेपी की टिकट वितरण के बाद फैले असंतोष को देखते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह के तीन दिवसीय मध्यप्रदेश के दौरे को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अमित शाह ने इसकी शुरुआत जबलपुर संभाग से की है. उनके आज यानी शनिवार के जबलपुर दौरे से दो महत्वपूर्ण संदेश निकलकर सामने आए.
नराज नेता को नाराजगी छोड़ काम करने की नसीहत
मध्यप्रदेश में टिकट बांटने के बाद मचे हंगामे को शांत करने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह आज पार्टी के नाराज नेता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया से बातचीत की. पार्टी सूत्र ने बताया कि अमित शाह ने धीरज पटेरिया को पार्टी हित में नाराजगी छोड़कर काम करने की नसीहत दी. इसके बदले में पार्टी ने उन्हें उचित सम्मान देने का आश्वासन भी दिया . कुछ अन्य नेताओं को भी बैठक में बुलाये जाने की चर्चा है. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पार्टी पदाधियों को जीत का मंत्र देते हुए जबलपुर संभाग के उम्मीदवारों से वन टू वन चर्चा भी की. अमित शाह ने चुनाव में जीत के साथ पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने का मंत्र भी दिया. बैठक से बाहर निकालने के बाद असंतुष्ट नेताओं और पार्टी प्रत्याशियों ने मीडिया से बातचीत करने से परहेज किया.
जबलपुर के दौरे पर प्रमुख नेताओं की बैठक लेने के अलावा अमित शाह ने आदिवासी गौरव के प्रतीक 1857 की क्रांति के शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की. इस कार्यक्रम के माध्यम से अमित शाह ने महाकौशल अंचल के अधिकांश के आदिवासी वोटरों को लुभाने की कोशिश की. बीजेपी नेता लगातार आदिवासी नायकों की महिमामंडन करते हुए कांग्रेस पर उनकी अपेक्षा का आरोप लगाते आ रहे हैं.
बीजेपी में नहीं कांग्रेस में है असंतोष-राकेश
दरअसल, साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को महाकोशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी. इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गई थी. कांग्रेस ने कमलनाथ को सीएम का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था. इससे उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थीं. इसी तरह महाकोशल के एपिसेंटर जबलपुर जिले में कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली थी. महाकोशल के आठ जिलों की कुल 38 विधानसभा सीटों में से 24 कांग्रेस के खाते में गई थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 13 सीट पर संतोष करना पड़ा था. एक सीट निर्दलीय ने जीती थी. तो वहीं 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 24 और कांग्रेस ने 13 सीट जीती थी. उस बार भी एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी.
बीजेपी के मीडिया पैनलिस्ट राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि टिकट वितरण को लेकर पार्टी में कोई बड़ा संतोष नहीं है. असली असंतोष तो कांग्रेस में है, जहां कमलनाथ का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि अमित शाह जिस तरह की बैठक ले रहे हैं. वह बीजेपी की एक परंपरा है. इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी को एकजुट होकर बड़े लेवल पर चुनाव जीतने का मंत्र दिया जाता है. उन्होंने कहा कि बैठक में चुनाव अभियान की रणनीति पर समीक्षा भी की जाती है.