अल्लामा इकबाल के एक शेर का हवाला देकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपनी पार्टी यानी बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची पर सवाल उठाया है. उन्होंने इशारों-इशारों में ओबीसी वर्ग की महिलाओं को पर्याप्त टिकट न देने पर तंज भी किया है. उन्होंने कहा कि अभी तो आखिरी सूची के बाद हम इसका भी आकलन कर लेंगे कि कितने पिछड़े वर्गों की महिलाओं को टिकट मिले. इससे मेरी पिछड़े वर्गों की महिलाओं के आरक्षण की मांग सबको सही लगेगी.
यहां बताते चले कि बीजेपी ने चार किस्तों में अपने 136 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. शेष बचे 94 उम्मीदवारों की सूची भी अगले एक-दो दिनों में जारी कर देने की संभावना है. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के सोशल मीडिया X पर किए गए ट्वीट ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है.
उमा भारती वरिष्ठ बीजेपी नेतृत्व को कराया अवगत
उन्होंने लिखा कि हमारी पार्टी बीजेपी के उम्मीदवारों की चौथी सूची आ चुकी है. उम्मीदवारों की इस चारों सूची के बारे में मध्य प्रदेश के हमारे कार्यकर्ता और हमारे मतदाता से बात करके मेरी जो धारणा बनी है, सभी को और मुझको आश्चर्य एवं प्रसन्नता का मिला-जुला भाव है. उससे मैंने दिल्ली एवं मध्य प्रदेश के सभी वरिष्ठ बीजेपी नेतृत्व को अवगत करा दिया है.
‘आखिरी सूची के बाद हम उसका भी आकलन कर लेंगे’
उमा भारती ने पार्टी के लिए नसीहत भरे अंदाज में आगे कहा कि हमने शायद जीतने की योग्यता को ही आधार माना है. हमारी पार्टी निष्ठा एवं नैतिक मूल्यों की पुजारी रही है. हमें जीतने की लालसा एवं पराजय के भय से मुक्त होना चाहिए और दिखना भी चाहिए. उन्होंने इकबाल के शेर की एक लाइन “गुफ्तार का ये गाजी तो बना, किरदार का गाजी बन न सका: का जिक्र करते हुए आगे लिखा कि अभी तो आखिरी सूची के बाद हम इसका भी आकलन कर लेंगे कि कितने पिछड़े वर्गों की महिलाओं को टिकट मिले, इससे मेरी पिछड़े वर्गों की महिलाओं के आरक्षण की मांग सबको सही लगेगी.
वैसे, राजनीति से इतर अलामा इकबाल का पूरा शेर कुछ इस तरह है
“मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने,
मन अपना पुराना पापी था, बरसों में नमाज़ी बन न सका,
‘इक़बाल ‘ बड़ा उपदेशक है,मन बातों में मोह लेता है
गुफ़्तार का ये ग़ाज़ी तो बना किरदार का ग़ाज़ी बन न सका”
वे पहले से नाराजगी दिखा चुकी है
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा कहते है कि उमा भारती सीधे-सीधे पार्टी के बड़े नेताओं पर ताने मार रही है. महिला आरक्षण के भीतर ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रावधान न होने को लेकर वे पहले से नाराजगी दिखा चुकी है. अब पार्टी की टिकटों में ओबीसी महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने से उनकी नाराजगी बढ़ गई है.