ग्लोबल स्तर पर नवीकरण ऊर्जा क्षमता को 2030 तक तीन गुना करने पर G20 देशों ने सहमति जताई है. साथ ही सदी के मध्य तक या उसके आसपास शुद्ध शून्य हासिल करने की भी बात कही गई. 9 सितंबर को जारी घोषणा पत्र के मुताबिक G20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही G20 के सदस्य एक संयुक्त बयान पर पहुंच गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली नेताओं की घोषणा को अपनाने की बात कही. 10 सितंबर को जारी होने वाले घोषणा पत्र को एक दिन पहले ही पेश किया गया. इसमें कहा गया कि सदस्य देश मौजूदा लक्ष्यों और नीतियों के माध्यम से ग्लोबल स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे और प्रोत्साहित करेंगे. इस लक्ष्य को 2030 तक पूरा करने की बात कही गई है.
कितना आएगा खर्च
घोषणा पत्र में कहा गया है कि विकासशील देशों को अपने एनडीसी को लागू करने के लिए 2030 से पहले की अवधि में 5.8-5.9 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता का हवाला दिया गया. इसके अलावा 2050 तक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को नेट-शून्य तक पहुंचने के लिए प्रति वर्ष 4 ट्रिलियन डॉलर की खर्च की आवश्यकता होगी।
कार्बन उत्सर्जन बदलाव के लिए मिलेगा समर्थन
2023 के लिए G20 के इस कदम के माध्यम से क्लाइमेंट फाइनेंस के दायरे को व्यापक बनाया जाने का लक्ष्य रखा गया है. G20 देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि विकासशील देशों को कम कार्बन उत्सर्जन की दिशा में बदलाव के लिए समर्थन देने की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि जी 20 विकासशील देशों के लिए कम लागत वाली सुविधा प्रदान करने की दिशा में काम करेगा।
G20 में कौन कौन से देश
गौरतलब है कि G20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. स्पेन स्थायी अतिथि के रूप में है।