जबलपुर/सीधी : पक्षकार की बिना सहमति के एक वकील द्वारा राजीनामा कर नौ लाख रुपये लेने के मामले को मप्र स्टेट बार काउंसिल (एसबीसी) ने काफी गंभीरता से लिया। एसबीसी की अनुशासन समिति-बी के अध्यक्ष आरके सिंह सैनी व मणिकांत शर्मा ने मामले के आरोपी सीधी के अधिवक्ता कमलकांत मिश्रा को गंभीर व्यवसाय कदाचरण का दोषी पाया। जिसके बाद उनकी सनद तीन साल के लियेए निलंबित कर दी गई। इसके अलावा 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद की कार्यकारी सचिव गीता शुक्ला ने बताया कि सीधी निवासी जगदंबा प्रसाद पाठक ने अधिवक्ता कमलकांत मिश्रा के खिलाफ शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि उनके 24 वर्षीय पुत्र की एक दुर्घटना में मृत्यू हो गई थी। बेटे की मृत्यू उपरांत वकील मिश्रा उनके घर पहुंचे और 25 हजार रुपये लिए और कहा कि डेढ़ करोड़ क्षतिपूर्ति के रूप न्यायालय द्धारा दिलाएंगे। इसके बाद न्यायालय में केस पेश कर अधिवक्ता मिश्रा ने पक्षकार जगदंबा पाठक की बगैर अनुमति व हस्ताक्षर के न्यायालय में राजीनामा आवेदन पेश कर दिया। इतना ही नहीं पक्षकार की बिना सहमति और स्वीकृति के लोक अदालत में नौ लाख रुपये में राजीनामा कर लिया। पेश किए दस्तावेजों और साक्ष्यों का अवलोकन कर एसबीसी की अनुशासन समिति ने अधिवक्ता कमलकांत मिश्रा को व्यवसायिक कदाचरण का दोषी पाया।
जुर्माने की राशि में से 30 हजार पीड़ित पक्ष को मिलेंगे
एसबीसी द्धारा अधिवक्ता पर लगाए गए 50 हजार के जुर्माना अदायगी पर 30 हजार की राशि पीड़ित पक्षकार को दिए जाएंगे। शेष 20 हजार की राशि परिषद के खाते पर जमा होगी। जुर्माना राशि अदा न होने पर छह माह का अलग से निलंबन रहेगा।