सनातन धर्म में साल के 15 दिन पूर्वजों यानी पितरों को समर्पित होते हैं इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनका श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं जिसे पितृपक्ष के नाम से जाना जाता हैं।
मान्यता है कि पितृपक्ष के दिनों में पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा श्राद्ध तर्पण को स्वीाकर कर प्रसन्न होते हैं और उन्हें सुख समृद्धि व वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
धार्मिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष का आरंभ हो जाता है और इसका समापन आश्विन मसय की अमावस्या तिथि पर हो जाता हैं। इस दौरान पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि का विधान होता हैं। तो आज हम आपके लिए अपने इस लेख द्वारा लेकर आए हैं पितृपक्ष राद्ध कैलेंडर।
पितृपक्ष कैलेंडर 2023-
29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या
श्राद्ध पक्ष की इन तिथियों में अगर पूर्वजों क निमित्त तर्पण, श्राद्ध कर्म किया जाए तो वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। साथ ही ऐसा करने से पितृदोष भी दूर हो जाता हैं।