छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाला, शराब घोटाला के बाद अब ऑनलाइन सट्टेबाजी एप महादेव बुक पर बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें ईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस के एसआई चंद्रभूषण वर्मा, हवाला ऑपरेटर सतीश चंद्राकर, अनिल दम्मानी और सुनील दम्मानी को गिरफ्तार कर रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया है. इस मामले में कोर्ट ने 6 दिन के लिए ईडी को रिमांड दे दी है. इसके अलावा ईडी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा पर सट्टेबाजी एप से जुड़े होने का आरोप लगाया है.
छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टेबाजी एप पर ईडी की बड़ी कार्रवाई
दरअसल, 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ईडी ने दबिश दी थी. इसके बाद 23 अगस्त को फिर से ईडी ने रायपुर दुर्ग में दबिश दी है. इसके अलावा 23 अगस्त की दोपहर ईडी ने दुर्ग जिले से गिरफ्तार किए लोगों को कोर्ट में पेश कर दिया. इसको लेकर ईडी के वकील सौरभ पांडे ने कहा कि चार लोगों को ईडी ने दुर्ग से गिरफ्तार किया है. कोर्ट ने ईडी को 6 दिन के लिए कस्टडी रिमांड दी है. अगली सुनवाई 29 अगस्त को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में होगी.वहीं महादेव बुक से कैसे सट्टेबाजी होती है. दुर्ग से दुबई तक का कनेक्शन कैसा और सट्टेबाजी मामले में मुख्यमंत्री के करीबियों ने इसमें संरक्षण कैसे दिए. इसका ईडी ने खुलासा किया है.
भारत के चुनावों पर भी दांव लगाया जाता था
ईडी ने बुधवार रात को जारी अपने प्रेस विज्ञप्ति महादेव बुक की पूरी कहानी बताई है. ईडी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा एफआईआर दर्ज किया गया है इस आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग और दूसरे राज्य में दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच किया है. ईडी ने बताया है कि महादेव ऑनलाइन बुक में पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल आदि पर सट्टेबाजी जैसे विभिन्न लाइव गेम में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है और तीन पत्ती, पोकर जैसे कई कार्ड गेम खेलने की सुविधा भी प्रदान करता है. ड्रैगन टाइगर, कार्ड आदि का उपयोग करके वर्चुअल क्रिकेट गेम, यहां तक कि ऐप भी भारत में विभिन्न चुनावों पर दांव लगाने की अनुमति देते हैं.
ईडी का दावा एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को 65 करोड़ रुपये नकद मिले
ईडी ने दावा किया है कि भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल एप के मुख्य प्रमोटर है और दुबई से ऐप का संचालन करते हैं. वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस के कर्मचारी एएसआई चंद्रभूषण वर्मा छत्तीसगढ़ में ग्राउंड पर मुख्य लाइनर के रूप में काम कर रहे थे और सतीश चंद्राकर के साथ दुबई स्थित महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटरों से हवाला के माध्यम से मोटी मासिक प्राप्त कर रहे थे और इसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को ‘संरक्षण राशि’ के रूप में वितरित कर रहा था. ईडी की अब तक की जांच में पता चला है कि एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को करीब 65 करोड़ रुपये नकद मिले थे और उन्होंने इसका हिस्सा अपने पास रखा और बांटा है.
खिलाड़ियों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए विदेश में कॉल सेंटर
सट्टेबाजी ऐप कई पैनल/शाखाओं द्वारा संचालित होता है, जो एक छोटी फ्रेंचाइजी की तरह सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल द्वारा बेचे जाते हैं. लेकिन वे पैनल संचालन के लाभ का लगभग 80% अपने पास रखते है. एक पैनल में एक मालिक और कर्मचारी होते हैं जिनकी संख्या आमतौर पर चार होती है. हेड ऑफिस दुबई में पैनल मालिक के लिए प्रोफाइल बनाता है जो आगे खिलाड़ियों की उपयोगकर्ता प्रोफ़ाइल बना सकता है. खिलाड़ियों को ऑनलाइन साझा किए गए बेनामी खातों में पैसा जमा करना होता है और फिर हेड ऑफिस द्वारा उन्हें पैनल सौंपा जाता है. बेनामी बैंक खातों का उपयोग करके भी भुगतान किया जाता है. ये बैंक खाते या तो धोखाधड़ी से खोले गए हैं या कमीशन के लिए ऋण दिए गए हैं. इसमें से बड़ी संख्या में खाते छत्तीसगढ़ में खोले गए है. हेड ऑफिस द्वारा साप्ताहिक शीट पैनल मालिकों के साथ साझा की जाती है जिसमें सभी दांवों, कुल लाभ या कुल हानि के आंकड़े शामिल होते है. दांव का अंतिम परिणाम जो भी हो, 20 प्रतिशत हिस्सा पैनल संचालक का होता है और यह रकम या तो बैंकिंग चैनल के जरिए या हवाला के जरिए पैनल मालिकों तक पहुंचाई जाती है. वहीं खिलाड़ियों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए हेड ऑफिस द्वारा विदेशों से कई कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं.
ईडी का दावा एएसआई चंद्रभूषण वर्मा का सीएम के सलाहकार से संबंध
ईडी ने एएसआई चंद्रभूषण वर्मा और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार के विनोद वर्मा के साथ संबंध स्थापित किया है. इसके अलावा ईडी ने कहा है कि दुबई से भेजे गए रिश्वत के पैसे को चन्द्रभूषण ने वह वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने में कामयाब रहा है.इसके अलावा एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वह कई शक्तिशाली लोगों को बड़ी मासिक रिश्वत ले रहा था और भुगतान कर रहा था. एएसआई ने स्वीकार किया है कि मई 2022 में पुलिस द्वारा की गई कुछ कार्रवाई के बाद रिश्वत भुगतान बढ़ाया गया था.
गिरफ्तार लोगों ने ईडी को सौंपी है रिश्वत लेने वालों की लिस्ट
पुलिस की नजरों से बचने के लिए बैंक खाते और व्हाट्सएप नंबर बार-बार बदले जाते है. अगर एफआईआर दर्ज भी हो जाती है तो आम तौर पर केवल छोटे स्तर के सट्टेबाजों या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता है क्योंकि विदेश में बैठे मुख्य आरोपी भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पहुंच से बाहर हैं. वहीं ईडी ने ये भी कहा है इस मामले में 21 अगस्त और 23 अगस्त को कई स्थानों में दबिश देकर भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए. गिरफ्तार आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है और रिश्वत का विवरण और इन रिश्वत के लाभार्थियों की सूची दी है.
आम लोग सट्टेबाजी एप से कैसे जुड़ते थे?
महादेव बुक देश के अलग अलग वेबसाइटों पर संपर्क नंबर का विज्ञापन करते हैं और लोगों को मुनाफा कमाने के लिए खेलने का लालच देते हैं. ऐसे नंबरों पर केवल व्हाट्सएप पर ही संपर्क किया जा सकता है. एक बार जब कोई उपयोगकर्ता इस नंबर पर संपर्क करेगा, तो उसे दो अलग-अलग संपर्क नंबर प्रदान किए जाएंगे. दांव लगाने के लिए उपयोग की जाने वाली यूजर आईडी में पैसे जमा करने और दूसरा नंबर आईडी में संचित अंकों को भुनाने के लिए वेबसाइट से संपर्क करने के लिए दिया जाता था. लेकिन खेलों में इस तरह से धांधली की जाती है कि पैनल मालिकों को पैसे की हानि नहीं होगी और उपयोगकर्ता के शुरुआती लाभ होने के बावजूद अंत में उन्हें पैसे खोने की संभावना रहती है.