बीजेपी (BJP) ने शनिवार सुबह अपने राष्ट्रीय पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की. इसमें 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आठ राष्ट्रीय महामंत्री, एक राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) और एक सह राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन), 13 राष्ट्रीय सचिव और एक कोषाध्यक्ष और एक सह कोषाध्यक्ष का नाम शामिल है. बीजेपी की नई टीम में मध्य प्रदेश के तीन नेताओं का नाम शामिल है. ये तीनों नेता पहले भी इसी पद पर काम कर रहे थे.
मध्य प्रदेश से कौन-कौन शामिल है
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी केंद्रीय पदाधिकारियों की सूची में मध्य प्रदेश के सौदान सिंह, कैलाश विजयवर्गीय और ओमप्रकाश धुर्वे का नाम शामिल है. सौदान सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महामंत्री और ओमप्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है. ये तीनों ही नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की पिछली टीम में भी इसी पद पर काम कर रहे थे. इस तरह कहा जा सकता है कि ये तीनों ने जेपी नड्डा का विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं.
सौदान सिंह की राजनीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले सौदान सिंह को संगठन के कामकाज का व्यापक अनुभव है. बीजेपी ने पिछले हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रभारी बनाया था. लेकिन बीजेपी को चुनाव में बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा था. मध्य प्रदेश से आने वाले सौदान सिंह को चुनावी साल में मिली इस जिम्मेदारी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं. इस साल बीजेपी का कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका
इंदौर से राजनीति की शुरुआत करने वाले कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी इस सूची में शामिल है. उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. वो पिछली कार्यकारीणी में भी इसी पद पर थे. वो राष्ट्रीय नेतृत्व का विश्वास जीतने में कामयाब रहे हैं. महासचिव के रूप में कैलाश विजयवर्गीय का उल्लेखनीय काम पश्चिम बंगाल में रहा. वहां वो बीजेपी को दूसरे नंबर की पार्टी बनाने में कामयाब रहे. हालांकि वो पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश में अपनी भूमिका की तलाश में हैं. लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनके लिए अभी कोई घोषणा नहीं की है.
कितने आदिवासी वोट दिला पाएंगे ओमप्रकाश धुर्वे
मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले से आने वाले आदिवासी नेता ओम प्रकाश धुर्वे को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है. धुर्वे अपनी मिलनसारिता और सांगठिनक क्षमता की वजह से जिले की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह बनाई है.वो इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण सांगठनिक पदों पर काम कर चुके हैं. चुनावी साल में ओमप्रकाश धुर्वे की यह नियुक्ति काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि 2018 के चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, एसटी के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी केवल 17 सीटें ही जीत पाई थी. कांग्रेस ने 29 सीटें जीती थीं. इस बार बीजेपी आदिवासी वोटों पर काफी फोकस कर रही है.