भगवान श्री महाकाल का पहला नगर भ्रमण श्री मनमहेश रूप में हुआ संपन्न, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में श्रावण माह के पहले सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर ने मन महेश रूप में नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।

सवारी नगर भ्रमण पर परम्परागत मार्ग से निकाली गई।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक ने बताया कि, भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रथम सवारी में रजत पालकी में भगवान मनमहेश स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हुए नगर भ्रमण पर निकले। इससे पूर्व भगवान के श्री मनमहेश स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन मन्दिर के सभा मण्डप में पं.घनश्याम शर्मा ने किया। पश्चात भगवान श्री मनमहेश स्वरूप को पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

सवारी मन्दिर से अपने निर्धारित समय अपरांन्ह 4 बजे निकली। मन्दिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने पालकी में सवार भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दिया। यहां से सवारी परंपरागत मार्ग से होती हुई शिप्रा तट रामघाट पहुंची जहां भगवान का जल से अभिषेक किया गया। वापसी परंपरागत मार्ग से हुई।सवारी के साथ पुलिस की प्लाटून एवं बैंड, झांझ, डमरू, भजन मंडलियां साथ चल रहीं थी।

भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी मन्दिर से निकलने के बाद महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंची।

अधिक मास के चलते इस वर्ष श्री महाकालेश्वर भगवान की 10 सवारी निकलेगी। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक के अनुसार इस वर्ष श्रावण माह की चार, अधिक मास की चार, और भाद्रपद माह की दो सवारियां मिलाकर कुल 10 सवारियों में भगवान श्री महाकालेश्वर विविध मोहक रूपों में भक्तो का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेगे।

दूसरी सवारी 17 जुलाई को निकलेगी। इसमें पालकी में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर के स्वरूप में और हाथी पर श्री मनमहेश के स्वरूप में भगवान विराजित होंगे। तीसरी सवारी 24 जुलाई को निकाली जायेगी। इस दौरान पालकी में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर के स्वरूप में रहेंगे, हाथी पर श्री मनमहेश के स्वरूप में और गरूड़ रथ पर शिवतांडव के स्वरूप में विराजित होंगे।

चौथी सवारी 31 जुलाई को निकाली जायेगी, जिसमें पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नन्दी रथ पर उमा.महेश के स्वरूप में विराजित होंगे। पंचम सवारी 07 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।

षठम सवारी 14 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद के साथ श्री घटाटोप मुखोटा सम्मिलित रहेगा। सप्तम सवारी 21 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद ,श्री घटाटोप मुखोटा व श्री सप्तधान मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।‌

अष्टम सवारी 28 अगस्त को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा, महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा व श्री सप्तधान मुखारविंद के साथ श्री जटाशंकर मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।

नवम सवारी 04 सितम्बर को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद ,श्री घटाटोप मुखोटा व श्री सप्तधान मुखारविंद, श्री जटाशंकर मुखारविंद के अतिरिक्त नवीन सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा। दसवीं एवं शाही सवारी 11 सितम्बर को निकाली जायेगी।

इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा.महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद ,श्री घटाटोप मुखोटा व श्री सप्तधान मुखारविंद, श्री जटाशंकर मुखारविंद, नवीन सप्तधान का मुखारविंद व नवीन रजत मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।

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