झाबुआ: मंगलवार रात 8 बजे झाबुआ जिले के स्पेशल कोर्ट में चार घंटे तक कन्या छात्रावास की छात्राओं के बयान हुए। इन छात्राओं ने एसडीएम सुनील कुमार झा पर अश्लील हरकत के आरोप लगाए हैं। आरोप के बाद ही पुलिस ने एसडीएम को गिरफ्तार कर न्यायालय के सामने पेश कर दिया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। दूसरी ओर जिस हॉस्टल में ये वारदात हुई वहां छात्राएं सहमी हुई नजर आईं। हॉस्टल के बाहर सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया।
मंगलवार दोपहर करीब 4 बजे विशेष न्यायाधीश पाक्सो राजेंद्र कुमार शर्मा की अदालत में छात्राओं और हॉस्टल वार्डन के बयान शुरू हुए। रात 8 बजे तक बयान हुए। घटना के बाद से छात्राएं इतनी डरी हुई थी कि प्रशासन ने तीनों के माता-पिता को भी बुला लिया ताकि वो सुरक्षित महसूस कर सकें। बयान के बाद छात्राओं और वार्डन को पुलिस सुरक्षा देते हुए हॉस्टल तक छोड़ा गया।
एसडीएम सुनील कुमार झा के पास मंगलवार से पहले बतौर एसडीएम मजिस्ट्रियल पावर हुआ करता था। वो खुद अपराध पर दंड देने का अधिकार रखते थे लेकिन इस आरोप के बाद न सिर्फ वो सलाखों के पीछे हैं बल्कि नौकरी गंवाने की दहलीज पर भी हैं। ये आरोप 13-़13 साल की दो और 11 साल एक नाबालिग ने उनके ऊपर लगाए हैं।
झाबुआ का कन्या आश्रम। यहां पर छात्राओं ने FIR कराई और एसडीएम के खिलाफ केस दर्ज कराया।
सबसे पहले पढ़िए छात्राओं की आपबीती उन्हीं की जुबानी
तुम्हारा नाम क्या है? तुम कहां रहती हो। इतना पूछकर कंधे पर हाथ रखा और पलंग पर बिठा लिया। बुरी नीयत से एसडीएम सर ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ा और मेरे बालों को सूंघकर पूछा कि कौन सा ऑइल लगाती हो। मैंने कहा- आंवले का तेल लगाती हूं तो सर ने मेरे सिर पर किस किया जो मुझे अच्छा नहीं लगा और पूछा तुम्हारा पीरियड कब आता है? फिर यह भी पूछा कि कौन सा पैड यूज करती हो। फिर वापस दरवाजे की तरफ जाते हुए बोले मैं जाता हूं कि संस्कृत में क्या बोलते हैं? फिर मेरे सीने पर हाथ रखते हुए बोले कि हम जाते हैं को संस्कृत में क्या बोलते हैं। फिर दरवाजे के पास खड़ी एक छात्रा को जोर से गले लगाया।
(जैसा छात्राओं ने अपने एफआईआर में दर्ज कराया है।)
अब जानिए एसडीएम पर किन धाराओं में हुआ केस दर्ज
– आईपीसी की धारा 354- कोई भी किसी महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है या यह जानते हुए कि यह उसकी शील भंग करने की संभावना है, वह इस धारा के तहत सजा का पात्र होगा। सजा या तो विवरण का कारावास है, जो न्यूनतम एक वर्ष होगी और पांच साल तक बढ़ सकती है।
– आईपीसी की धारा 354 ए- महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हमले से संबंधित है। यह यौन प्रकृति के किसी भी शारीरिक संपर्क, यौन रूप से अप्रिय टिप्पणियों, या किसी महिला की गरिमा का उल्लंघन करने वाले इशारों को एक अपराध बनाता है। अधिकतम सजा जुर्माने के साथ तीन साल की कैद है।
– आईपीसी की धारा 11/12 पॉक्सो एक्ट- जो कोई, किसी नाबालिग पर लैंगिक उत्पीड़न करेगा वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक को हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
– एससी/एसटी एक्ट- अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी अपराध करता है या SC/ST एक्ट के किसी अन्य अपराध के तहत दोषी पाया जाता है तो SC/ST एक्ट के तहत छह महीने से लेकर उम्रकैद तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
मामले में दो महिलाओं ने दिखाई संवेदनशीलता
इस पूरे प्रकरण में दो महिलाओं ने काफी संवेदनशीलता दिखाई और छात्राओं की शिकायत को अनसुना करने की कोशिश या उन्हें समझाने का प्रयास करने की बजाय कानूनी कार्रवाई का रूख किया। कलेक्टर तन्वी हुड्डा को जब मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल एसडीएम के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए। कलेक्टर ने कहा कि मिस कंडक्ट और अनुशासनहीनता काे लेकर विभागीय कार्रवाई के लिए भी तत्काल वरिष्ठ अफसरों को प्रस्ताव भेज दिया गया है। दूसरी ओर हॉस्टल की वार्डन ने भी मामले में छात्राओं की बात सुनने के बाद तुरंत वरिष्ठ अफसरों को अवगत कराया और एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचीं। उन्होंने छात्राओं के परिजनों को समय पर सूचना दी और सभी छात्राओं की लगातार काउंसिलिंग करके उन्हें सदमे से निकालने की कोशिश में लगी हैं।
रविवार को निरीक्षण करने पहुंचे थे एसडीएम
एसडीएम रविवार को अवकाश के दिन हॉस्टल का निरीक्षण करने पहुंचे थे। अवकाश के कारण छात्राएं बाहर खेल रही थीं। उन्हें अंदर जाने के लिए कहा गया। वार्डन बाहर थीं वो एसडीएम के साथ अंदर जाने लगीं तो उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। उनसे कहा गया कि वो खुद अकेले में छात्राओं से पूछताछ करेंगे ताकि हॉस्टल में हो रही किसी गड़बड़ी के बारे में छात्राएं बिना डर के बता सकें। हुआ इसके ठीक उलट। एसडीएम के निरीक्षण से अब छात्राएं ही डर गई हैं।