भोपाल. प्रदेश के हाइप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले को लेकर डीजीपी वीके सिंह (DGP VK Singh) और स्पेशल एडीजी पुरुषोत्तम शर्मा (DG Purushottam Sharma) के बीच चल रहे विवाद (DGP vs DG controversy) पर कमलनाथ सरकार (Kamalnath government) गंभीर हो गई है. सरकार अपने स्तर पर दोनों पक्षों के आरोपों को लेकर जानकारी जुटा रही है. जल्द ही इस मामले में सही जानकारी आने के बाद स्पेशल डीजी या फिर डीजीपी पर बड़ी कार्रवाई की जा सकती है. हनी ट्रैप मामले में भले ही एसआईटी अपनी जांच कर रही है लेकिन इस एसआईटी और पुलिस मुख्यालय की भूमिका को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. यह सवाल हम नहीं बल्कि खुद वरिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी खड़े कर रहे हैं.
ये है पूरा मामला
दरअसल, साइबर सेल और एसटीएफ के स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा का आरोप है कि विभाग द्वारा गाजियाबाद में लिए गए फ्लैट को हनी ट्रैप मामले से जोड़ने और उनके नाम को घसीटने की कोशिश डीजीपी वीके सिंह के द्वारा की जा रही है. डीजीपी वीके सिंह ने गाजियाबाद के फ्लैट के हनी ट्रैप मामले से तार जुड़े होने की वजह से उसे खाली करा लिया है. फ्लैट खाली कराए जाने से नाराज स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी और उसका सुपरविजन करने वाले डीजीपी वीके सिंह पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
शर्मा ने मांग की है कि पुलिस मुख्यालय के बाहर के डीजी रैंक के अधिकारी से पूरे मामले का सुपरविजन करानी चाहिए. सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और अपने स्तर पर दोनों ही अधिकारियों के पक्ष की सच्चाई जानने में जुट गई है. यदि किसी भी अधिकारी की जानकारी और उनकी बातें उनके आरोप उनके सवाल सही साबित होते हैं, तो एक अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई होना तय मानी जा रही है.
डीजीपी ने नहीं रखा अपना पक्ष
स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा ने अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा और पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए. हालांकि डीजीपी और पुलिस मुख्यालय की तरफ से कोई भी इस मामले पर बयान नहीं सामने आया है. सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अगर इस विवाद की जांच के दौरान किसी भी पक्ष के खिलाफ बड़ा तथ्य मिलता है, तो कमलनाथ सरकार कड़ी कार्रवाई कर सकती है.