माफिया बंधु के जीवन के आखिरी क्षण: रात 10.36 पर पहुंचे अस्पताल, 10.37 पर चली पहली गोली, 18 सेकेंड में काम तमाम

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया गया। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेकेंड में पहली गोली दागी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकेंड तक माफिया भाइयों का काम तमाम हो चुका था। अतीक व अशरफ को रात 10.36 पर लेकर पुलिस कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंची।

10.37 मिनट और 12 सेकेंड पर दोनों पुलिस जीप से नीचे उतर चुके थे। इसके बाद पुलिस उन्हें लेकर अस्पताल के भीतर जाने लगी। ठीक 32वें सेकेंड यानी 10.37 मिनट और 44 सेकेंड पर शूटरों ने पहली गोली दागी। इसके बाद ताबड़तोड़ 20 राउंड फायर अतीक और अशरफ को निशाना बनाकर किए गए। 18 सेकेंड में वारदात को अंजाम देकर शूटर अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे। 10.38 मिनट और 02 सेकेंड पर अतीक और अशरफ दोनों लहूलुहान होकर जमीन पर लुढ़के पड़े थे और उनके शरीर बेजान हो चुके थे।

काफी देर तक तड़पता रहा अतीक, अशरफ की तुरंत हो गई थी मौत
अतीक के सिर में पहली गोली लगने के बाद वह गिर पड़ा। इसके बाद उसे ताबड़तोड़ आठ गोलियां मारी गईं। हालांकि कुछ मिनटों तक वह तड़पता रहा। उसकी सांसें चल रहीं थीं लेकिन जब तब डाक्टर आकर चेक करते अतीक की मौत हो गई थी। अशरफ को भी पहली गोली सिर में लगी थी। उसे कुल छह गोलियां मारी गईं। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अशरफ की तुरंत ही मौत हो  गई थी।

अतीक-अशरफ के साथ एक इंस्पेक्टर, सात दरोगा व 13 सिपाही थे मौजूद 
कॉल्विन अस्पताल में हुए शूटआउट के दौरान जिला पुलिस के 20 जवानों पर तीन शूटर भारी पड़े। वारदात के दौरान घटनास्थल पर अतीक व अशरफ के साथ एक इंस्पेक्टर, सात दरोगा व 13 सिपाही-दीवान मौजूद थे। अतीक व अशरफ को लेकर धूमनगंज थाने से लेकर पुलिस टीम रात 10.19 मिनट पर बाहर निकली। लगभग 15 मिनट बाद टीम कॉल्विन अस्पताल के बाहर पहुंच चुकी थी। इस टीम का नेतृत्व धूमनगंज थाने के इंस्पेक्टर और उमेशपाल हत्याकांड के विवेचक राजेश कुमार मौर्य कर रहे थे। 

उनके साथ एसआई रणविजय सिंह, एसआई सौरभ पांडेय, एसआई सुभाष सिंह, एसआई विवेक कुमार सिंह, एसआई प्रीत पांडेय, एसआई विपिन यादव, एसआई शिव प्रसाद वर्मा भी पीछे-पीछे चल रहे थे। इसके साथ ही हेडकांस्टेबल विजयशंकर, कांस्टेबल सुजीत यादव, गोविंद कुशवाहा, दिनेश कुमार, धनंजय शर्मा, राजेंद्र कुमार, रविंद्र सिंह, संजय कुमार प्रजापति, जयमेश कुमार, हरिमोहन मान सिंह व दो ड्राइवर महावीर सिंह और सत्येंद्र कुमार भी मौजूद थे। चौंकाने वाली बात यह है कि 20 पुलिसकर्मियों की टीम होने के बावजूद वाहन से उतारकर अस्पताल के भीतर ले जाते वक्त कोई सुरक्षा घेरा नहीं बनाया गया। इसके उलट दोनों भाइयों के अगल-बगल ही पुलिसकर्मी चलते रहे। पुलिस ने कस्टडी रिमांड में होने के बावजूद अभियुक्तों की सुरक्षा में इतनी बड़ी लापरवाही क्यों बरती। 

कब-कब क्या हुआ
रात 10.36 बजे- पुलिस अतीक और अशरफ को लेकर प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंची
10.37 मिनट और 12 सेकेंड- अतीक और अशरफ पुलिस जीप से नीचे उतर चुके थे। 
10.37 मिनट और 44 सेकेंड- शूटरों ने दोनों भाइयों पर पहली गोली दागी
10.38 मिनट और 02 सेकेंड- अतीक और अशरफ दोनों लहूलुहान होकर जमीन पर लुढ़के पड़े थे।
10.50 बजे- एसीपी अस्पताल पहुंचे
11.10 बजे- पुलिस कमिश्नर अस्पताल पहुंचे
12.10 बजे- दोनों के शव मोर्चरी पहुंचे

ऐसी है तीनों आरोपियों की क्राइम कुंडली
सनी सिंह
सनी पर कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं। वह 12 साल से वांछित चल रहा था। 2012 में यह एक लूट के मुकदमे में हमीरपुर से ही जेल में गया और इसके बाद ही वह अपराध की दुनिया में रम गया। वहां इसकी मुलाकात पश्चिमी यूपी के कुख्यात सुंदर भाटी से हुई और फिर वह उसके गैंग में शामिल हो गया इसके बाद एक के बाद एक उसने कई वारदातें अंजाम दी। उस पर गुंडा एक्ट के साथ ही गैंगस्टर के भी कई मुकदमे दर्ज हुए। उसके पिता का निधन हो चुका है और घर में सिर्फ मां और भाई हैं।  

लवलेश तिवारी
लवलेश पर कुल तीन मुकदमे दर्ज हैं। 2020 में उस पर सबसे पहला मुकदमा शराब की तस्करी में दर्ज हुआ था। इसके अलावा 2021 में उसने एक युवती पर हमला किया था, जिस पर उसके खिलाफ प्राणघातक चोट पहुंचाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया। 2022 में उसके खिलाफ जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज हुआ। सामान्य परिवार से आने वाले लवलेश की संगत अच्छी नहीं थी और यही वजह थी कि वह नशे का आदी हो गया। इसी लत को पूरा करने के लिए उसने अपराध की राह पकड़ ली। 

अरुण कुमार मौर्य
अरुण मूल रूप से कासगंज जनपद का रहने वाला है। उसके पिता दीपक कुमार खेती करते हैं। करीब तीन साल पहले वह घर से पानीपत में रहने वाले अपने दादा के पास चला गया था।  वहीं से उसने हाईस्कूल की पढ़ाई की। लेकिन पढ़ाई में उसका मन नहीं रमा और वह अंतराज्यीय गैंग में शामिल होकर असलहा तस्करी करने गया। एक बार इस मामले में उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया। करीब छह महीने पहले वह जेल से छूटकर आया और फिर अचानक गायब हो गया। घर में भी किसी से संपर्क नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि जेल से छूटकर आने के दौरान ही उसने सनी का साथ पकड़ लिया था।

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