तीन माह पूर्व गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गैंगस्टर के मामले में दस साल का कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर अतीक को भी मुख्तार की तरह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सजा क्यों नहीं सुनाई गई।
दरअसल, बीते चार साल से अतीक गुजरात जेल में बंद है। इसी वजह से उमेश पाल अपहरण केस में चल रही सुनवाई के दौरान वह अदालत में उपस्थित नहीं हो सका।
एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के मुताबिक जब अदालत किसी मामले में आरोप तय कर देती है तो दोषी पाए गए अभियुक्तों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ता है ताकि सजा सुनाए जाने से पहले उनका पक्ष भी सामने आ सके।
इसी वजह से अतीक को गुजरात जेल से प्रयागराज लाकर एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया जा रहा है। वहीं मुख्तार के मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी पहले हो चुकी थी और अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।
चुनिंदा अफसरों का थी जानकारी
अतीक को गुजरात से लाने की केवल चुनिंदा अफसरों को ही जानकारी थी। इस पूरे ऑपरेशन को पूरी तरह गोपनीय रखा गया था। जिन पुलिसकर्मियों को अतीक को लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उनको भी गुजरात पहुंचने तक कुछ नहीं पता था।
अतीक को हाजिर करने के एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला के 20 मार्च के इस आदेश की प्रति केवल प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी और प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा को भेजी गई थी।
गुजरात में भी मचा हड़कंप
उमेश पाल हत्याकांड की साजिश साबरमती जेल से रचे जाने से गुजरात में भी हड़कंप मचा था। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने 21 मार्च को अचानक एक कार्यक्रम को छोड़कर रात में साबरमती जेल का औचक निरीक्षण किया, जिसमें खासकर अतीक की बैरक की गहन तलाशी ली गयी थी।
वहीं दो दिन पहले भी गृह मंत्री के निर्देश पर डेढ़ हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने गुजरात की समस्त जेलों पर छापा मारा था। इस पूरी कवायद को अतीक अहमद से जोड़कर देखा जा रहा है।