हनुमानजी को कलयुग का जीवंत देवता कहा जाता है यानी वो देवता जो आज भी जीवित हैं। हनुमानजी से जुड़ी और भी कथाएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं।
हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा पर हनुमानजी का जन्मोत्सव बड़ी ही श्रद्धा और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। भक्तों की लंबी कतारें हनुमान मंदिरों में इस दिन देखी जाती है। आगे जानिए इस बार हनुमान जन्मोत्सव कब मनाया जाएगा.
जानें हनुमान जन्मोत्सव की सही तारीख
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल की सुबह 09:19 से 06 अप्रैल की सुबह 10:04 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 6 अप्रैल को होगा, इसलिए हनुमान जयंती का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से कई शुभ योग भी बनेंगे। इस दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में गुरु अपनी स्वराशि मीन में रहेगा।
ये है हनुमानजी के जन्म की कथा
– शिवपुराण के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले। अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध होने लगा।
– उस समय भगवान विष्णु मोहिनी अवतार लेकर आए और उन्होंने छल से देवताओं को अमृत पिलाकर अमर कर दिया और असुरों को कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। उस समय भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया।
– सप्त ऋषियों ने उस वीर्य को संग्रहित कर समय आने पर वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया। समय आने पर अंजनी ने अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्रीहनुमानजी को जन्म दिया।
अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं हनुमानजी
धर्म ग्रंथों में 8 ऐसे पौराणिक पात्रों के बारे में बताया गया है, जिन्हें अमर माना जाता है। हनुमानजी भी इनमें से एक है। इस संबंध में एक श्लोक भी मिलता है। उसके अनुसार.
अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थ- अश्वथामा, दैत्यराज बलि, महर्षि वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि, ये 8 अमर हैं। रोज सुबह इनका स्मरण करने से निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।