शराबबंदी की रणनीति और योजना का अध्ययन करने टीम हुई बिहार रवाना

रायपुर:छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के प्रयासों में फिर तेजी दिख रही है। शराबबंदी की रणनीति और योजना का अध्ययन करने अफसरों की टीम 8 मार्च की शाम बिहार के लिए रवाना हो गई। ये टीम दिल्ली होते हुए पटना जाएगी, जहां पर शराबबंदी की योजना को समझा जाएगा। उसके बाद आने वाले दिनों में यह टीम मिजोरम जाएगी और वहां भी इसका अध्ययन करेगी, फिर कमेटी इसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपेगी। इसके बाद शराबबंदी को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा।

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री भूपेश बधेल को बधाई देता हूं कि उन्होंने विधानसभा में शराब को लेकर घोषणा की। उन्होंने कहा कि शराब एक सामाजिक बुराई है, इसे खत्म करना है। यह किसी एक पार्टी की बात नहीं है। राज्य के सभी दलों को शराबबंदी को लेकर राजनीति और पार्टी से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। चाहे वह भाजपा का विधायक हो या बहुजन समाज पार्टी का, सभी को छत्तीसगढ़ के लिए सोचना होगा। इसमें समाज और मीडिया की भी भूमिका होनी चाहिए।

अन्य दल सहयोग नहीं देते
कवासी लखमा ने कहा कि शराबबंदी के लिए अन्य राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी जैसे दलों ने आज तक कोई सहयोग नहीं दिया। अन्य दलों ने नाम तो दिए, लेकिन अफसरों के फोन करने पर गुजरात जाने के लिए तैयार नहीं हुए। लेकिन हमारे पार्टी के विधायक साथी अपने होली त्योहार को छोड़कर बुधवार शाम दिल्ली रवाना हो गए और फिर वहां से पटना गए। 12 मार्च की शाम वे वापस आएंगे। 13 मार्च को विधानसभा है। कवासी लखमा ने कहा कि मिजोरम में एक ब्लॉक में शराब बंद है, तो दूसरे ब्लॉक में शराब चालू है। ठीक उसी तरह एक पंचायत में शराबबंदी है, तो दूसरे पंचायत में उस पर प्रतिबंध नहीं है। इन्हीं योजना और रणनीति का अध्ययन करने टीम बिहार के बाद मिजोरम जाएगी।

बस्तर में अलग कानून होंगे
मंत्री कवासी लखमा ने कहां कि शराबबंदी को बस्तर संभाग में किस तरह लागू किया जाएगा, ये कैसे होगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। बिहार के बाद टीम को मिजोरम भी जाना है। उसके बाद सामने आए निष्कर्षों की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बस्तर के बारे में बताते हुए कहा कि वहां के लोग देवी-देवता की पूजा-पाठ शराब के बिना नहीं करते। जिसके चलते बस्तर के नियम अलग होंगे। वहां शराब का बंद होना पंचायत तय करेगा। वहां पांचवीं अनुसूची का क्षेत्र है। इसका निर्णय स्थानीय आदिवासी करेंगे।

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