प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का दर्द सोमवार को फिर छलक पड़ा। मां महामाया दरिमा विमान तल के निरीक्षण के लिए पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि ‘कांग्रेस के साथ हमारा परिवार हर परिस्थितियों में खड़ा रहा है, लेकिन कुछ दिनों से कांग्रेस का हाथ हमारे कंधे और सिर पर जितना होना चाहिए वह महसूस नहीं हो रहा है’। मेरे समधी व मध्यप्रदेश के मंत्री से भाजपा में आने का न्योता मिला था। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हैं, लेकिन मैं अपने जीते जी भाजपा में नहीं जाऊंगा। भाई-भतीजे, बहू व परिवार की गारंटी नहीं ले सकता।
ढाई-ढाई साल के सीएम के फार्मूले के लागू न होने को लेकर भी इशारों में टीएस सिंहदेव ने कहा कि उनके समधी (महेंद्र सिंह सिसोदिया, पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री मध्यप्रदेश) ने भाजपा में आने का निमंत्रण दिया था। समधी महेंद्र सिंह सिसोदिया से बहुत आत्मीय संबंध हैं। अब भी बात आती है कि महाराज आपके साथ धोखा हुआ। आपको मुख्यमंत्री नहीं बनाया। ढाई-ढाई साल का फार्मूला भी लागू नहीं किया गया। उनके प्रति अपार स्नेह है। उन्होंने मुझे भाजपा में आने का आमंत्रण दिया ये खुशी की बात है। मेरे भाजपा के लोगों से अच्छे संबंध हैं, लेकिन मेरी विचारधारा भाजपा से मेल नहीं खाती है, साथ ही कहा कि मेरे परिवार के लोग कहां जाएंगे मुझे नहीं पता। लेकिन मैं भाजपा में प्रचार करता हुआ कभी नहीं दिखाई दूंगा। टीएस सिंहदेव ने कहा कि भतीजे, भाई, बहू व परिवार के लोग की नहीं कह सकता।
क्यों हो रही भाजपा में जाने की चर्चा
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सत्ता का वनवास 15 साल बाद समाप्त हुआ तो इसमें सिंहदेव की भूमिका अहम मानी गई। सरकार बनने के बाद ढाई-ढाई साल के सीएम के फार्मूले पर पहला मौका भूपेश बघेल को मिलना बताया गया। सत्ता में वापसी के कुछ माह बाद जय-वीरू की जोड़ी में दरार पड़ने लगी और टीएस सिंहदेव एवं उनका खेमा लगातार उपेक्षा का शिकार होता गया। अब दोनों के बीच की तल्खी खुलकर सामने आ गई है। टीएस सिंहदेव का सरगुजा संभाग के 14 सीटों में सीधे प्रभाव माना जाता है। टीएस खेमे के विधायक भी तोड़ लिए गए। टीएस को मौका मिलने की सारी संभावनाएं खत्म मानी जा रही हैं। स्वयं टीएस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अगला चुनाव भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इसके बाद बार-बार उनसे भाजपा में जाने को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। सरगुजा के राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा जोरों पर है कि अंबिकापुर से अगला भाजपा का उम्मीद्वार राजपरिवार से हो सकता है।
सत्ता के शिखर से हासिये तक
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भले ही नगर पालिका अध्यक्ष पद से की हो, लेकिन सरगुजा राजपरिवार के होने के नाते उनकी राजनैतिक हैसियत इससे कहीं अधिक रही। टीएस सिंहदेव के पिता एमएस सिंहदेव मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव व बाद में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। उनकी मां देवेंद्र कुमारी सिंहदेव मध्यप्रदेश में दो बार मंत्री रहीं। तब कहा जाता था कि सरगुजा के लिए मुख्यमंत्री राजपरिवार ही है। छत्तीसगढ़ गठन के बाद जोगी की सरकार बनी तो सरगुजा राजपरिवार हासिये पर चला गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उपेक्षा के बीच चुनाव के कुछ माह पूर्व टीएस सिंहदेव को वित्त आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया।
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अंबिकापुर सीट सामान्य हुई तो टीएस सिंहदेव ने अपना पहला चुनाव 980 मतों के मामूली अंतर से जीता। दूसरे चुनाव में जीत का अंतर 19400 एवं तीसरे चुनाव में करीब 40 हजार तक पहुंच गया। वर्ष 2013 से 2018 तक वे नेता प्रतिपक्ष रहे, जो टीएस सिंहदेव के लिहाज से बेहतर कार्यकाल कहा जा सकता है। भूपेश सरकार में शुरुआती कुछ माह बाद टीएस सिंहदेव अपनी ही सरकार में इस कदर उपेक्षा के शिकार हुए कि उन्हें कई बार सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि इस सरकार में हमारी चल ही नहीं रही है। जोगी सरकार के कार्यकाल के बाद यह राजपरिवार के लिए सबसे खराब समय कहा जा सकता है।